________________ 98 (3 स्त्रीचरित्र. लंगी रही. इससे मेरा आना दिनमें नहीं हुआ, अब वह सेंगिया है, तब मैं आपके पास आई हूं. यह सुन साहूकारजादेने कहा, आज हम तुमसे तबही बात करेंगे कि जब तू अपने पतिको मारकर हमारे पास आवेगी. यह सुन चम्पकली बोली, प्यारे! यह कौनसी बडी बात है यह कह वहांसे लौटकर अपने घर आई और अपने पतिको मारकर साहूकारजादेसे जा कहा, कि मैं आपकी आज्ञासे पतिको मार आई हूं. तब साहूकारजादेने सोच बिचारकर उससे कहा, कि हरामजादी ! अब तू हमारे कामकी भी न रही. क्योंकि जब तूने अपने पतिहीको न समझा तो हम क्या वस्तु है ? यह कह अपने यहांसे निकाल दिया. तम्बोलिनि वहां से आकर अपने पतिके पास बैठकर विलाप करने लगी कि हाय, कोई परदेशसे पीछेही लगाहुआ चला आया और मेरे पतिको मारकर चलागया, ऐसी अनेक बात कहती हुई रातभर विलाप करती रही, दूसरे दिन पतिकेसाथ सती होगई. 'स्त्रीया चरित्र जाने नहीं कोई, पुरुष मारिके सत्ती होई // इति / P.PRAC. ISUEEMS Jun Gun Aaradhak Trust