________________ 1980 10 स्त्रीचरित्र जानपडा कि, यह पंडित स्त्रीचरित्रकी पुस्तक सुनारहा है. कुछदेर पीछे जब वह पंडित उस दूकानसे उठकर चलनेको हुआ. तब महदेईने अपनी दासीसे कहा कि, नीचे जाकर हमारे पास इस पंडितको बुला लाओ. महदेईकी आज्ञासे वह दासी नीचे उतरकर जीनामें खडी होरही, और दूकानसे उतरतेही पंडितसे कहा कि, पंडितजी ! तुमको हमारी सेठानीजी मुहूर्त यूछनेके लिये बुलाती हैं, कृपा कर ऊपर हमारे साथ चलिये. सुनतेही पंडितजी उसके साथ ऊपर चढ गये और महदेईको देखतेही दिल फडक गया. मनमें सोचा कि, यह तो कोई बड़ी चंचल, चतुर और सुन्दरी जाना पड़ती है. समीप आतेही महदेईने पंडितजीको बड़े आदरसे बिठाया, और कटाक्ष बाण चलाकर बोली, पंडितजी ! मेरा पति सौदागरी करनेके लिये परदेशको जायकरताहै और तीसरे चौथे महीने आकर दश . वीस दिन घरपर रहकर फिर लौट जाता है. परंतु अबकी बार ॐ महीने होगये, सो मुझको रात दिन चिन्तरहती है. P.P.AC. Gunratnasuri Me Jun Gun Aaradhak Trust