________________ स्त्रीचरित्र बन्दकर एक ताला लगा दिया, और विमन हो. कर चार पाईपर लेट रही, जब उसका पति आया तो पूछने लगा, प्यारी! तुम्हारा चित्त कैसा है. महदेईने उत्तर दिया, स्वामी ! मैं बहुत अच्छीतरहसे हूं, तुम्हारे गये पीछे मैंने बहुत. मुखभोग किया कईएक नये यार मैंने बनाये, आजभी एक नया यर बनाया है, उसका समाचार यह है कि एक पंडित मेरे मकान के नीचे होकर निकला, उसको रूपवान् देखकर मैंने इस दासीको भेजकर जब वह पंडित मेरे पास आया तब मैंने उसके साथ भोगविलास किया. इतने में मेरा पुराना यार आपहुंचा, तब मैंने पंडितको इस सन्दूकमें बन्दकर ताला लगादिया, और पुराने यारके संगविलास करने लगी. अब तुम्हरे आजानेपर उसको इस कोठरीमें बन्दकर ताला लगादिया है. इतनी बात सुनतेही सौदागर घबरा गया, आंखें लाल लाल होगई. मारे क्रोधके होंठ फडकने लगे, मुंह तमतमा कर बोला. 'हरामजादी! ताली ला, देखतो तुझको और तेरे यारोंको कैसा मजा चखाताहूं. एक एकका शिर P.P.AC..Gunratnasuri M.S.... Jun Gun Aaradhak Trust