________________ 95 101 स्त्रीचरित्र. ही पकड पाया, वह यही जानता था कि, मेरी स्त्री बडी पतिव्रता है. एकदिन तम्बोली दिसावरको पान लेनेके लिये चला, तब अपनी स्त्रीसे कहने लगा कि मैं परदेश- को जाताहूं, तीन चार दिन पीछे आ जाऊंगा. तुम बहुत अच्छी तरहसे रहना, किसी बातकी चिंता नहीं करना. यह सुनकर चम्पकलीने कहा, प्यारे मैं बिना तुम्हारे कैसे तीन चार दिन काढूंगी. तुम जानते हो, कि तुम्हारे बिना किसी पुरुषका मुंह नहीं देखा, एकएक पल मैं तुम्हारे नागिनती रहतीथी, जब तुम सांझको आतेथे तब आते ही तुमको देख अपना मन प्रसन्न करलेतीथी. दिनभर की उदासी सांझ होतेही दूर होजाती थी, सो चारदिन में कैसे विताउंगी? यह मुझको बडा भाग खटका होगया तम्बोली बोला प्यारी ? तुम नाहक इतनी उदास होती हो, क्या किसीके पति विदेश नहीं जाते हैं. धीरज धरना और प्रसन्नतासे हमारे आनेकी बाट देखना. हम विदेशसे तुम्हारे लिये अनेक अच्छी अच्छी बस्तुयें लावेंगे. चम्पकलीने जवाब दिया कि अच्छा तुम्हारे गये बिना नहीं .P.P.AC.GunratnasuriM.S., Jun Gun Aaradhak Trust. /