________________ भाषाटीकासहित. 106 17 शिवदेईने पतिकी आंखें खोलकर कहा कि स्वामी ! ऐस.. स्त्रियोंके परोसमें रहना अच्छा नहीं. शिवदेई के इस -चरित्रको वह अन्धावनियां कुछभी न समझसका, और कहने लगा कि प्यारी ! तुम अपने आप मनसे भली रहो. दूसरी स्त्रियोंकी अच्छाई बुराईसे तुम्हारा क्या प्रयोजन है. हमको तो तुम्हारी अच्छाईसे मतलब है. दूसरी ‘जो जैसा करेगी, वो वैसा भरेगी' यह कह सुनकर स्त्री पुरुष दोनों चुप होरहे. ऐसेभी मनुष्य होते हैं जो स्त्रियोंके छलको न देख सकते हैं, और न बुद्धिसे जानसकते हैं, ऐसे पुरुषको बिना पूंछ व सींगोंका पशु कहना चाहिये // इति // - चम्पकली चरित्र 7. एक तंबोलीकी स्त्रीका नाम चम्पकली था. वह बडी चालाक चतुर और व्यभिचारिणी थी. जब तम्बोली अपनी दूकानपर चला जाता तब अपने यारके साथ आनन्द भोग किया करतीथी. परन्तु तम्बोलीने कभी इसको . P.P.AC.:Gunratnasuri M.S. Jun-Gun Aaradhak Trust