________________ 81 भाषाटीकासहित. अपनेको समाल उस सुनारकी गर्दन पकडकर बोला, कि.. रे नादान इसतरह कोई किसी भले मानसपर मटका पटस देता ! ईश्वग्ने मुझको बचाया नहीं तो आंख फूट जातीयह सुन वह उल्लू घबडागया, हात जोड़ पैरों पड़ जमे. तैसे विनतीकर उस मस्तानसे अपना पीछा छुडाया. तर उस बुढियाने कहा, कि यह मटका मेरे बड़े कामका था, मेरा बेटा सुन पावैगा तो मुझको घरमें नहीं रहने देगा. - और न जाने तेगे क्या गति करै. यह सुनकर उस. सुनारने बुढियाको पचीस रुपये देकर कहा कि यह रुपये तुम लो अब हमारे पास कुछ नहीं है, नहीं तो और देते, हमारा अपराध क्षमा करी. यह सुनकर बुढिया चली गई. ब्राह्मण दुकानदार,इस चरित्रको देखकर मनमें कहनेलगा कि, ऐसा तमाशा हमने आजतक नहीं देखा सुनारंने अपके घर जाकर सब हाल अपनी स्त्रीसे कह सुनाया. तब स्त्री बोली कि, तुम बडे नादान हो. नाहक. बुढियाको 25 पचीस रुपये दे आये, देखो मैंने पीतल के. कडे बुढियाको दिये और चारसौ रुपये बचाये, यह P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust