________________ स्त्रीचरित्र तो मेरी चतुराईपर धिक्कार है, देखू मुझसे अब यह कैसे बच सकता है. इस प्रकार सोच विचारकर सेठानी बोली, प्यारे ! तुम्हारा कहना ठीक है, तुम बड़े पंडित और ज्ञानी हो, कि तुमने बहुत कुछ पढा और सुना है, परन्तु जान पडता है, कि तुमने और तुमारे गुरुने कोई ग्रन्थ काम शास्त्रका नहीं पढा. जो मनुष्य जिस विद्याको नहीं पढा होता, वह उस विधामें अज्ञानी होता है, तु. मने जो कहा कि पास्त्रीगमन किये आयुका क्षय होता है, इसमें हम पूछती हैं कि क्या अपनी स्त्रीसंभोग किये आयुका क्षय नहीं होता? सुनो इसका मुख्य अर्थ यहहै कि जो मनुष्य निर तर स्त्रीगमन करता रहता है और दुग्धादि पान नहीं करता, उसकी आयु थोडी होती है. कारण यह कि शरीरमें वीर्य प्रधान है वह वीर्य निकाल दियाजाय और उसके बढानेका कोई उपाय न किया जाय तो वीर्य न होनेसे आयुका क्षय हो जाता है. सो __ अभी तुम्हारे शरीरमें वीर्य बढरहा है. दूसरे परमेश्वरने वीर्य बढानेके लिये घरमें सब प्रकारके पदार्थ दे रखे हैं .P.P.AC.Guriratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust