________________ स्त्रीचरित्रकर सुखभोग किया करतीथी. कई कुटनियोंसे गोपीने मेल मिलाप करलियाथा और सबको प्रसन्न रखतीथी। जिस कुटनीको किसी सुंदरीकी चाहहोतीथी वह गोपी को बुलाले जायाकरतीथी. गोपी अपनी घरकी रखवाली करनेवाली बुढियाको सबतरहसे प्रसन्न रखतीथी, बहुत दिन बीतजाने पर वही सौदागर भूलकर अपनेही नगरमें लौटआया, और रात होजानेसे सरायमें जा उतरा. प्रायः मनुष्य जो बाहर सौदागरी करने जाया करते हैं और वर्षोंतक परदेश भ्रमण करते रहते हैं। उनको अपने नगरकी पहिचान नहीं रहती. अपने घरके समीप दो चार चि होंके सिवाय और पहि चान उनको नहीं रहती-दूसरे रात हो जाने के कारण सौदागरको अपने नगरकी कुछभी पहिचान न होसकी। भठियारीने एक पलंग डाल दिया उसपर सौदागरने अपना बिस्तर जमाया जब कुछ रातबीते खापीकर सौदागर निश्चिन्त हुवा, तब भठियागसे बोला कि, तुमारे शहरमें कोई नवेली सुन्दरी हो तो लाओ. आज बहुत P.P. Ac. Gunratnasuri Jun Gun Aaradhak,Trust