________________ | 94 . स्त्रीचरित्र. स्त्री रमण करनेसे मरने उपरान्त दुर्गति होती है सों यह वृथा भय है, मरने उपरान्त किसने किसकी दु. गति देखी है. सत्य तो यह है, कि कोई स्त्री किसी पुरुषके सामने अपने मुखसे रतिदान नहीं मांगती. और जो मांगती है उसको जो कोई पुरुष रतिदान नहीं देता उस पुरुषको कामशास्त्रमें महापापी कहते हैं, इससे हे प्यारे! हमारे कहनेका अंगीकार करो हम तुमको प्रतिदिन एक रुपया दिया करेंगी. __ यह सुन वह लडका मनमें सोचने लगा कि सेठानीका कहना बहुत ठीक है, स्त्री रमण सम्बन्धी बातें कामशास्त्रमें लिखी हैं सो हमने पढा नहीं. सेठानीके -संग रमण करनेमें कुछ दोष नहीं. क्योंकि सेठानी एक तो अवस्थामें भी हमारे समान है, दूसरे धनधान्यसे पूर्ण है, और हमको एक रुपया प्रतिदिन देने कहती है, इससे बढकर और क्या चाहिये, हमारे लिये भोजन और _भोग दोनों पदार्थ तैयार है. यह रिचारकर वह लडका VAC. Gunratnasuri M.S. Jun'Gun Aaradhak Trust