________________ __भाषाटीकासहित __ “लंकेश्वरो जनकजाहरणेन वाली तारापहारकतयाप्यथ कीचकाख्यः // पाञ्चालिकाग्रहणतो निधनं जगाम तच्चेतसापि परदाररतिं न कक्षित् // ___ अर्थः-श्रीजानकीजीको हरलेजानेसे लंकापति (रा. वण) और तागका अपहरण करनेसे वाली वानर, तथा पांचाली (द्रौपदी) को ग्रहण करनेसे कीचक (राजा विराटका साला) मारागया, इसकारण मनसेभी पराई. स्त्रीके सात रमण करनेकी इच्छा नहीं करना चाहिये।।१।। . यह सुन सेठानी बोली, यह तुम्हारा कहना ठीक है, परंतु तुम्हारा दृष्टांत घटित नहीं होता. रावण सीताको बलात्कारसे हरण किया, और वालीनेभी सुग्रीवको निकालकर ताराका अपहरण किया, एवं कीचकनेभी द्रौपदीको बलात्कार पकड लिया था, सो यहां हमारे तुम्हारे बीच यह कोई बात नहीं.. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust