________________ . भाषाटाकासाहत. रहित होगई, और मनमें कहने लगी कि, यह तो कोई राजकुमार जान पडता है, यह सोच, हावभाव कटाक्ष कर प्रेमकी बातें करने लगी बातें करते करते उस मस्तानने पहले तो बहुत देरतक आलिंगन चुम्बन किया, फिर अपने कामदेवको शांत कर दिया और सबेरा होतेही बुढियाकी आज्ञासे मटके में जा बैठा, तुत बुढियाने मटकेपर कपडा बांध सुनारको दरवाजेसे पुकारा और कहा, देख तेरी जोरू अच्छी होगई, लाओ चारसौ रुपये गिन दो. सुनतेही चमेलीने अपने हाथोंसे सोनेके कडे उतारकर बुढियाके आगे फेंक दिये, और कहा कि, माई ये दोनों कडे बीस तोलेके हैं, पांचसो रुपयेसेभी कुछ अधिक के अवश्य हैं, इनको तुम लेजाओ, भने प्रसन्न होकर तुमको दिये, फिर कभी जरूरत होगी तब तुमको बुलालूंगी, वुढिया उन कडोंको पाकर बहुत प्रसन्न होगई. वे कडे पीतल के थे और उस सुनारने बडो चतुराईसे उनपर सोनेका पानी फिराया था, बुढियाको उससमय पहचान नहीं मिले. झट उन कडोंको अपनी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust