________________ मी मटकेको रखकर बुढिया बोली कि तुम आज रातभर / दरवाजेपर रहो हम रातभरमें दवाकरके तुम्हारी जोरूको अच्छा करदेंगी. यह कह सुनारको बाहर निकाल दिया E और भीतरसे कुंडी देकर बुडियाने चमेलीसे कहा, कि अब क्या देखतीहो, जल्दी उठो, और अपना शृंगारकर तैयार हो जाओ. सुनतेही चमेलीने अच्छे मुथरे कपडे पहन, पान खाय इतर लगाय एक साफ सुथरा पलंग : बिछाय तकिया लगादी, और कपूरकी कई एक बत्तियां चमेली ऐसी जान पड़तीथी मानों कोई साक्षात इन्द्रकी अप्सरा स्वर्गसे उतरी है, बुढियाने जब देखा कि चमेली पलंगपर बैठ चुकी, तब उस मटकेको खोला. उसमेंसे वह मस्ताना पट्टा निकल आया. और चमेली के पास पलंगपर जाबैठा, और चमेलीका मोहनी मूर्तिका देखकर बहुत प्रसन्न हो मनमें कहने लगा कि आज _इस बुढियाने बहुत अच्छी सुन्दरीसे मुझे मिलाया है, चमेलीभी उस खूबसूरत जवानको देखकर मो PP. Ac. Gunratnasuri Jun Gun Aaradhak Trust