________________ भाषाटीकासहित. बडे दुःखके साथ नेत्रोंमें आंसू ढवटवाती हुई बोली. नाथ ! मैंने अपने कियेका फल पाया. आप चाहें मुझ पापिनीको अपने चरणोंमें रक्खें पर मैं नहीं रहूंगी. अब में इस जगतमें पिशाचिनीके समान होगई हूं. आपके चरणोंसे हजारकोश दूरभी रहने योग्य मैं नहीं रही हूं. अब जो आप मेरा अपराध क्षमाकर मुझे अपने समीप रखोगे तो मुझको अब वह सुख नहीं मिलेगा. जो सुख अबतक मिला, जब प्यारसे आप कोई बात . मुझसे कहोगे तब मुझको अपनी करनीका स्मरण होते ही सैकडों बिच्छुओंके डंक लगने के समान क्लेश होंगे. जिस सुखको मैंने आपही भगाया है, वह सुख क्या आपके पास रहके मुझको मिल सकता है, कभी नहीं. अब आप यहांसे जाइये, यहां रहनेसे आपकी बुद्धि बिगड जायगी, और बिगडने लगी है, क्योंकि मुझपापिनपर आपको दया आगई. यदि दया न आती तो आप मेरी चिट्ठीको पढतेही यहा न आतें. जिसपर आप दया करना चाहते हो वह रत्तीभर दया करने के योग्य P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust