________________ स्त्रीचरित्रसालभरतक दोनोंने रडे आनन्दसे दिन काटे. मोहनीके पास जो कुछ नगद रुपया था वह सब खर्च होगया. उपरान्त मोहनीका गहना कपड़ा विकने लगे. गुलजारीलालके चालचलनसे थोडेही दिनमें सब माल असवाक स्वाहा होगया, तब गुलजारीलाल कहींको चुपचाप चम्पत होगये. जब चार पांच दिन गुलजारीलाल नहीं आये, तब मोहनीने जाना कि, गुलजारीने मुझको धोखा दिया. अपने कियेपर पछतावा करने लगी, और पतिका स्मरण करकरके रोने लगी, दशपांचदिन दुःखसे बिताये. एकदिन मोहनीने विचार किया, कि अब जो कुछ होनहार था सो हुआ, परन्तु अब कुछ उपाय करना चाहिये जिससे दिन कटैं. यह सोचकर शृंगार किया और मकानके कोठेपर खिडकीमें जो गली को थी, वहां जा बैठी, और उस गली में निकलते हुये पुरुषोंपर कटाक्ष चलानेलगी, कुछ देखाद एक छैलछबीला वीस बाईस वर्षका लडका अपने सुन्दर स्वरूपसे मोहनीको P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.