________________ स्त्रीचरित्र. चमेली पेटमें दर्दका बहाना करके लेट रही. कभी कहती कि मेरे पेट और पेडूमें पीडा होरही है. कभी कहती कि अब कलेजा फटा जाता है, कभी कहती कि छातीपर तीर चल रहे है ऐसा दर्द होता है. कभी छिनछिनपर चिल्ला उठती और कराहती थी. कईएक अच्छे अच्छे, वैद्योंको लाकर सुनारने दिखाया, पर किसीको उसके / रोगका पता नहीं लगा. हार मानकर जब वैद्यलोगोंने उसको छाडदिया तब सुनार बोला कि प्यारी ! तेरे दर्दसे तो मुझको बडा दुःख होरहा है. किसी प्रकार तू अच्छी हो जाती तो हमारा जीवन सफल था, नहीं तो तेरे बिना हमारे दिन कैसे करेंगे. - यह सुनकर चमेलीने कहा कि स्वामी ! स्त्रियोंके रोगको स्त्रियां जान सकती हैं जो हमको अच्छा करना / चाहते हो तो किसी चतुर दाईको बुलालाओ वह हमारे रोगको पहिचानकर दवा देगी तभी आराम होगा. यह बात सुनकर सुनार बहुत प्रसन्न हुआ और एक बुढिया : PP. Ac. GunrathasuriM Gun Aaradhak Trust