________________ भाषाटीकासहित को अपने घर बुला लाया. आतेही बुढियाने चमेलीको देखा, तो कोई रोग समझ नहीं आया. बुढिया आश्व. र्यमें होकर चमेलीसे बोली, कि तुझको ऐसा मुनासिब नहीं, नाहक छल करके अपने मर्दको दुखी कर रक्खा हैं. तब चमेलीने कहा, कि इस मेरे पतिने मुझको महा दुःख दे रक्खा है, रात दिन चौकसी रक्खा रहता है, और किसी स्त्री पुरुषको घरमें नहीं आनेदेता है, न मुझको कहीं जाने देता है, यद्यपि मैंने आजतक इसके सिवाय किसीमर्दका मुंह नहीं देखा तथापि यह मुझको बन्धनमें रखकर दुःखी करता है, आज छै महीना हुये हैं तब इसने मेरे आगे एक बडा बोला बोलाथा, सो मैं इसको अपना चरित्र दिखाना चाहती हूं, तुम मेरी सहायता करो बुढियाने कहा, कि तुमारे हुकमकी देरी थी, तू किसी बातकी चिन्ता मत करे, देख तेरे लिये कैसा छैल छबीला अलबेला हलका और सुन्दर वीस बाईस. वर्षका पट्टा लातीहूं, धीरज धर. यह कह दरवाजेपर उस. सुनारके पास जाकर बुढिया बोली कि तूने नाहक अपनी PPAC. Guhratriasuri M.S, Juri Gun Aaradhak Trust