________________ स्त्रीचरित्र. लार विधि लिखो कलेशा॥ सुनिसुनि कुटनी कर इतिहासा। मनमहं सती कीन्ह उपहासा॥वाली मुदल मनोहर वानी। निज करनी तुम सत्य बखानी पै सबकर स्वभाव यकनाहीं। बिलग बिलग सब जतन कराही॥ 57 // दोहा-जो जाहीसो रमि रह्यो. तेहि ताहीसों काम / जैसे किरवा नीमको, नहीं आमसों काम // 98 // यह सुनि कुटनी फिर चली, लाग्यो नहि कछु दांव / बहुरि न आई तासु दिग, जानि सतीको भाव // 59 // पढे सुनै जो नारि नर, कुटनीकेर चरित्र / सोचि समुझि त्यागैतुरत, नारी होय पवित्र॥६०॥ चमली चरित्र 3... एक सुनारकी स्त्रीका नाम चमेली था, वह रूपरंगमें बहुत सुन्दर थी, इस कारण सुनार अपनी स्त्रीको बहुत P.P.AC. Gunratnasuri