________________ स्त्रीचरित्र. - चाई, हमारी स्त्रीका क्या दोष उसकी अवस्थाही क्या है उस दुष्टने हमारी भोली भाली स्त्रीके रूपपर मोहित हो. ' कर उसको बहकाया, और उसको धोखा दिया है. स्त्रीको अपने भले बुरेका ज्ञान नहीं होता, इस कारण उस बिचा. रीका कुछ दोष नहीं, यह उसी छलिया गुलजारीका दोष है वही इस उपद्रवकी जड है. उस विचारी मोहनीका अपराध क्षमा करना चाहिये, क्योंकि वह अपने किये पर पछता रही है. कहीं वह आत्मघात न कस्बैठे आजही उससे मिलकर उसका मनोगत भाव जान किसी अला. हदा मकानमें लाकर रखदेंगी और खाने पहिरनेकी सुधीलेते रहेंगे. अबसे वह सुधर जाय तोभी कुछ चिंताकी बात नहीं है। - इस प्रकार अपने मनमें सोच विचारकर लाला हजारीलाल उसी समय मोहनीके पास पहुंचे. - अपने पतिको देखतेही मायाविनी मोहनीने बहुत आंसू बहाये. स्वामी के चरणोंको आंसुवोंसे भिगोदिया. Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gurfratnasuri M.S.