________________ भाषाटीकासहित. बाकी है, लाला हजारीलालकी. घबराट दूर हुई, सावधान होकर अंगरखा पहिनने लगे, तब जान पड़ा कि यह अंगरखा हमारा नहीं है, जेबमें हाथ डाला तो चिट्ठा नहीं मिला, एक चिट्ठी हाथ आई, उसमें यह लिखाहुआ था.. प्रियतम ! मेरे स्वामी आजरातके आठवजे दिल्ली जायँगे सो तुमको मालूमही है मैं घरमें अकेली हूँ बहुतही अच्छा अवसर हाथ आया है, स्वामीके जातेही तुरन्त आजाना विलम्ब नहीं करना. तुम्हारी प्यारी-मोहनी. इस चिठ्ठीको पढतेही लाला हजारीलालके मनमें बडा दुःख उत्पन्न हुआ. और सोचने लगे. हा ! जिस स्त्रीको हम पतिव्रता मान रहे थे और लाड प्यार करते हुये उसको सर्वदा प्रसन्न रखते थे, उसका यह कुलटापन उसकी यह नीच बातें, अरे वह पापी दुष्ट गुलजारी कि जिसे हम अपना छोटाभाई मानकर दया करते और विश्वास मानते थे जिसके स्वभाव चाल चलन और : PP Ac. Gunratnasuri M Jun' Gun Aaradhak Trust