________________ स्त्रीचरित्र. गुलजारीलालने दियाथा वह घरपर भूल आये हैं। साथही उसके दूसरा चिट्ठा मेलकाभी है, बड़े दूकानदार प्रायः जो मेल अपनी दूकान कमती हो जाता है उसको एक चिट्ठापर लिखते जाते हैं जब वीस ‘पचीस मेल कमती हुये तब दिसावरको लिखकर मंगा लेते हैं, दूकानपर मेलको बनाये रखनाही दूकानदारी है, स्मरण आतेही लाला हजारीलाल इक्कापर चढकर 'घर लौटे द्वार खटखटाया और द्वार खोलनेको पुकारा मोहनीने आकर किंवाड खोल दिये. घर जाकर वह चिट्ठा लेकर अपने अंगरखेकी जेवमें डाल लिया, इतनेमें दस्तकी शंका हुई- चट कपडे उतारकर पाखानामें पहुंचे। वहां सफाई करके निकल रेलकी सीटी सुनकर घबडागये झटपट हाथपाँव धोय कुल्लाकरके कुर्ता पहना, और धोखे में गुलजारीलालका अंगरखा जो वहीं खूटीपर टंगाथा, उठाकर भागे. द्धारपर आय इकापर बैठ स्टेशनकी गहली. वहाँ पहुँचतेही मालूम हुआ, कि मालगाडीके इंजनने सीटी दीथी, सवारी गाडी आनेमें पन्द्रह मिनट PP.AC.GunratnasturiM.S...' Jun Gun Aaradhak Trust