________________ स्त्रीचरित्र वाले वरके साथ मेरा विवाह कियागया. पांचसौकी ठहरौनी पर श्रीकान्तके दीक्षित मुझको व्याहने आये. सातसौ रूपयेकी निकासी हुई. और सवासौ रुपये ऊपरी सामानमें खर्च हुये, सब मिलाकर सवा आठौ रुपये हमारे विवाहमें लग गये. पिताने जो कुछ पूंजी जमाकर रक्खीथी सो सब समाप्त होगई. मैं बरके संग विदा होकर मातापिताके वियोगसे दुःखितमन नयनोंसे आंसू बहाती विलाप करती हुई चली. उस समय मेरे दुःखका कुछ अन्त नहीं था. जब रोते 2 मैं थकगई तब लाचार होकर चुप होरही. जब ससुरे पहुंची तब मैं चावसे पालकी परसे उतारी गई. कई दिनतक मुझ दुलहिनको गाँवकी लुगाई देखने आई और मेरे रूपकी प्रशंसा करने लगी, आगे जो कुछ हुवा सो आपके सन्मुख कहने योग्य तो नहीं. परंतु हम कहेही डालती हैं. माता पिताके घर तो मुझको कुछ मालूम नहीं हुआ. परंतु पतिके घर पहुंच नेके दो चारही दिन उपरान्त मेरे शरीरमें कामका सं. PPEAC.Gunratnasuri M.S: ** Jun.Gun Aaradhal Trust