________________ भाषाटीकासहित. सुजानशाहने एक वेश्यापर मोहित होकर उसको अपनी सेवामें रखना चाहा, तब रायप्रवीनने समय पा-- कर शिक्षाकी भाँति यह दोहा सुनाया कि, दोहा-विनती रायप्रवीनकी, सुनिये शाह सुजान / जूठी पतरी खात हैं, वारी वायस श्वान // 11 // ... अनन्तर एक दिन उसी वेश्याका नृत्य हो रहाथा और वह वेश्या अपने मनोहर गान व हावभावकटाक्षों से शाह सुजानको मोहित कर रही थी उस समय पवनके. झकोरेसे वेश्याका अंचल ऊपरको उडा तो उसके दोनों स्तन जो अधिक आयु होनेके कारण नीचेको झुक रहेथे उन स्तनों को देखकर शाह सुजान मुसक्याकर रायप्रवीनसे बोले कि, कविजी ! इस वेश्याकी प्रशंसा कुछ कहिये. तब रायप्रवीनने यह दोहा कहा कि, दोहा-पहलेसुरपुरवशकियो,पुनि नरलोकमहान।अव पताल वश करनको, नीचे कियो पयान // 12 // A PP.AC.Gunratnastri.M.S Jun Gun Aaradhak Trust