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समर्शिता
निपेक्ष
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aur
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१०६ १११
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मवो वा चाकरणी खजन खया ध्यान अप्रिह ध्याख्यानी
११३
समदर्शिता निरपेक्ष भवो वर्ण व्याकरणी स्वजन खाय ध्यान न अप्रिय व्याख्यानी धर्म थाय जाणों चेतन
११४
१४३
१६६
.
धाय जणो.
चेतत
पूरक
कर्न रकपू मविष्य रही जनाकर भविमां
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भविष्य (अधिक है) जलाकर भाविमा
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