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निजानन्द अवरोधथी, तीव्र विकलता पाय ;
धरे ममत ते टालवा, स्वांगे विविध उपाय"६१ प्राप्त स्वांग जीरण थए, आयु टिकिट ले धाई ;
चारे गति चौदे भुवन, भटके भांड भवाई" विविध जाति कुल उचित जे, ऊंच-नीच केई स्वांग; . विविध नाम मुद्रा सहित, खरीदे नट पी भांग "६३ विविध वर्ण रस गंध ने, स्पर्श शब्द आकार ;
. अंगोपांगने इन्द्रियो, स्वांगे विविध प्रकार"१४ अल्पाधिक स्थिति धारका, सूक्ष्म स्यूल केई-केई ;
अनेकालय एकालया, समना अमना लेई. . .६५ अवे'वार वे'वारिया, एक रूप बहु रूप ;
थिर-अथिरा केई संगहे, स्वांग चेतन नट भूप"६६ जघन्य मध्यम उत्कृष्टा, राग-द्वेष अज्ञान ;
* भाव शुभाशुभ खर्चीने, खरीदे नाट्य सामान ६७ तीव्र मोह उन्मत्त थई, नाचे विविध प्रकार ;
पृथ्वी अग्नि जल वायु ने वनस्पति तनधार" शंख कोडा ने अलसिया, कीडी ईयल, घीमेल ; . . भृगादिक थई ने करे, इग-विगलनो खेल'." जल थल नभचर स्वांगमां, पशु पक्षी बहु जात ;
छल कपट अधिवेकथी, कर्यो खेल विख्यात...१०० छेदन भेदन ताडना, वध बंधन ने दाह,
इनाममा त्यां बहु समय, वो दुःख प्रवाह१०१
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