Book Title: Sahajanand Sudha
Author(s): Chandana Karani, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram

View full book text
Previous | Next

Page 253
________________ अनुभव-वाणी आप्तनी, आगम-गुरुगम-बोध शरणापन्न पणे सुण्ये, श्रद्धय तत्व-विशोध...१६ चैतन-जड़ द्वय श्रेणिो , बोध्यु तस्वनु मर्म , गुण-पर्यय-युत लक्षणे, लखे मुमुक्षु स्व-धर्म...१७ चेतन-विज्ञान :कारण प्रभु निज आतमा, कार्य-प्रभु परमात्म; स्वयं ज्योति चिद्धातुमय, छे चेतन जीवात्म...१८ चित्-प्रकाश-चपरास जे, ते उपयोग लखाव ; स्वापेक्ष ते स्वभाव ने, परापेक्ष विभाव...१६ वीतराग स्वभाव शुद्ध, विभाव अशुद्ध कषाय 3; मंद-कषायी शुभ अने, अशुभ तीब्र-कषाय...२० चित्-प्रकाश फेलाईने, टके स्व रुचि अनुसार, ते श्रद्धा बे रूप छ, सम्यक् मिथ्याकार...२१ आत्मा भणी टकी रहे, सम्यक् श्रद्धा एह; चिद-जड़-मिथज देहे टके, मिथ्या श्रद्धा तेह...२२ मिथ+य+आत्व-मिथ्यात्व छे, अड़-चेतन मैथुन , तजन्य देहादिके, चित्-प्रकाश लहे धूम -- २३ मोह-गांठ रूढ गूढ धन, छवट-वाट-गुलाट ; . मूल भूल ए अनादिनी, पामे न सुखनी छांट...२४ दर्शन ज्ञान चारित्र ने, वीर्यादिक गुण-गंग 3 सम्यक-मिथ्या पणु लहे, श्रद्धा-सिन्धु प्रसंग...२५ २२४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276