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राग-वेर वेर नहीं आवे अजमेर नगरे आवे, युगवर । अज० । शेषायु निज ज्ञाने जानी, अंतिम अनशन ठावे । युग० । १। बार इग्यारे (१२११) देवशयनी दिन, सुधर्म कल्पे जावे ।युगा। टक्कलक नामक विमाने, मह ऋद्धिक सुर थावे । युग० । ३ । एक अवतारी कारज सारी, मुक्ति नगर में जावे । युग०।४। ॐ ह्रीं श्रीं क्ली ब्लूँ गुरु नामे, जपते दर्श दिखावे । युग। ५। दो न्यूना दो सहस (१६६८) विक्रम, गुरु वियोगदिन आवे।युगादी श्रीजिनरत्नसूरि चरणानुज, 'भद्र' गुरु स्तव गावे । युग० । ७ । * आषाढ शुक्ल ११ (२८) अकबर-प्रतिबोधक दादा
श्री जिनचंद्रसूरि स्तवन चंद्रसूरि गुरुदेव, दादाजी अद्भुत योगी (२) अद्भुत योगी, विभाव वियोगी, चंद्र० दादाजी. श्रीवंत शाह सिरियादे दंपतिना, कुल दीपक वीत रोगी,... बाल वये गुरु आप यथा छो, गच्छपति पद भोगी ... दा० १ राय राणा केइ मंत्रीओ पूजे, केइ देवो पद भृगी ... दा० अहिंसा रंगे अति रंगायो, अकबर आप प्रसंगी ... दा० २ आषाढ़ी अट्ठाइ पडह अमारी, अभयदान अभंगी ... दा० युगप्रधान पद अकबर आपे, दिव्य स्वरूप अनंगी ... दा० ३
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