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(१०९) पद-पद
राग-धन्याश्री
चेतन ! शा पद ने तु रहाय ? आप अक्षर पद राय... चे० १ अक्षरानक्षर पद बे जग मां, सत्यासत्य सुणाय... चे० २ अमल अकृत्रिम शास्वत सत्पद, तद्भिन्न असत् के वाय ... चे० ३ हरि-बल-चक्री इन्द्रादिक पद, संगांगेज वहायचे० ४ भांत थई जगओंठ समाते, सेव्यां बहु हाय हायचे० ५ संतकृपाए जाये, थई, जड़ पद स्पृहा विदाय'चे० ६ सहजानंदघन सायर उलट्यो, आप स्वपदे समायचे० ७
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(११०) चेतावनी पद
पावापुरी द्वि० वै० सु० १४ सं० २०१० प्रभात "उठ हिंद वीर युवका", ए ढब )
कहेशे अंते रोई रे कई ना करी शक्यो...
अरर ! हाय हाय, यमदूत आवी ने धक्यो यम० अरे० ॥ समय खोयो सोई, विषयोन्माद मां छक्यो...विष० अरे० आप भान भूली, पर ने मैं मेरो बक्यो पर० अरे० पुण्यस्वाद लीन, पर जड़ ज्ञेय नै तक्यो• • • पर जड० अरे०
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अज्ञ थई स्वधर्म, सहजानंद नै ढक्यो " सह० अरे०
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अरे कई ना करी शक्यो
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