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(१११) चेतावणी
पावापुरी ज्येष्ठ २०१०
[उठ हिंद वीर युवका ! - ए ढब ] जाग जाग रे प्रमादि ! मोह नींद खोल... प्रमादि... मोह नींद में गँवायो, समय अति अमोल बाँ०प्र० मैं- मेरो करी बझायो, स्वप्न राज ढोल• • •ब०प्र० स्वप्न राज वैभवे क्यों, नचत कुमति बोल ... वै० प्र० सहजानंद खोली नयना, मेट मोह पोल न० प्र०
(११२) आत्म-परिचय
नाम सहजानंद मेरा नाम सहजानंद ... अगम-देश अलख-नगर-वासी मैं निर्द्ध द्व... नाम० १ सद्गुरु-गम-तात मेरे, स्वानुभूति - मात; स्याद्वाद कुल है मेरा, सद्- विवेक-भात नाम० २ सम्यक-दर्शन- देव मेरे, गुरु है सम्यक ज्ञान; आत्म-स्थिरता धर्म मेरा, साधन स्वरूप ध्यान• नाम० ३ समिति ही है प्रवृत्ति मेरी, गुप्ति ही आराम; शुद्ध-चेतना प्रिया सह, रमत हूं निष्काम... नाम० ४ परिचय यही अल्प मेरा, तन का तन से पूछ !
तन परिचय जड़ ही है सब, क्यों मरोड़े मूँछ ? नाम० ५
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शरद पूर्णिमा २०१०
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