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छोडावो कल्पना इष्ट अनिष्ट अने, लौकिक धम समाज• • •मारा आत्म भाने वीतराग स्वभावे, ठरू हुं भक्ति जहाज मारा० ३ दृष्टि ज्ञाने हु जोउं जाणु' एक, आप स्वरूप सदाज• • •मारा० ४ शरण- स्मरण रहे नाथ आपनु, सहजानंदघन ताज· · मारा० ५
(५२) प्रार्थना
आवो आवो हो गुरुराज, मारी झुपडीए,
राखवा पोता नी लाज, मारी झपडीए;
जंबू भरते आ काले प्रवर्ते, धर्मना ढोंग समाज • मा० १ तेथी कंटाली आप दरबारे, आव्यो हुं शरणे महाराज मा० २ छतां मूके ना केड़ो आ दुनियां, अंध परीक्षा व्याज.. मा० ३ नामधारी केई आपना ज भक्तो, पजवे कलंक देइ आज• • •मा० ४ Hai पधारो धैर्य धावो, ढील करो शाने महाराज • • मा० ५ आपो आपो खौ ने प्रभु सन्मति, आपो भक्ति नुं साज• • •मा० ६ न हो अंतराय को मारामारग मां,नहिं तो जासे तुज लाज• • •मा७ मूल मारग निर्विघ्ने आराधू सहजानंद स्वराज...मा०८
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२६-७-६५
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