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नमिनाथ जिन स्तुति २१
नमिनाथ प्रभु-पद सोख्य-योग बे ख्यात ; वली बौद्ध-वेदान्ती कर स्थाने करे बात ; निज प्रतीति पूर्व चार्वाक् हृदय उत्पात ;
शिर जैन प्रतापे सहजानंद सुहात...२१ नेमिजिन स्तुति २२
रागी रीझे पण केम रीझे बीतराग ? एकांगी निष्प्रभ विनशे साधक-राग ; नेमनाथ आलंबी राजुल थाय विराग ;
नमुं सहजानंदघन ते दम्पति महाभाग...२२ १ पार्श्वजिन स्तुति २३
षड् गुण-हानि वृद्धि प्रति द्रव्य मां थाय ; तोय न्यूनाधिक ना अगुरुलघु गुण म्हाय ; छे नित्य द्रव्य पण ज्ञेय निष्टा दुख दाय ;
प्रभु-पाव-निष्ठा तोय सहजानंद उपाय...२३ श्रीवीरजिन स्तुति २४
दर्शन ज्ञानादिक जे-जे गुण चिद्र प ; प्रतिगुण-प्रवर्तना वीर्य स्हायक रूप ; तजी पर-परिणति सौ गुण शमाव्या स्वरूप ; नमुं सहजानंद प्रभु महावीर जिन भूप...२४
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