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(१७) श्री सीमंधर स्तवन
उदरामसर धोरा गुफा–बीकानेर [ ता०२-१-६० हंसा ! महाविदेह तू जा जा (२) सीमंधर प्रभु के चरणों में, प्रतिदिन यात्रा किये जा ; अवधि मनःपर्यव-केवलीजिन, दर्श स्पर्श सुख लेजा... हंसा० १ मानसरोवर शुचि मुक्ताफल, चंचु भर भर के जा; समवशरण में प्रभुजी के आगे, स्वस्तिक भरत भरेजा. . हंसा०२ भूचर-खेचर-तिरि-वर देवा, संघ सेवा निवहेजा ; वोध-सुधा-पय पीवत पीवत, नित्य कर तृप्त कलेजा. . . हंसा जीवन साथी सहजानंदधन, हंसो सोहं रमेजा ; परम कृपालु देव आशीस ले, शीघ्र सिद्ध पद पै जा. . . हंसा० ४
ज्ञान आराधना पद्
राग-हमीर कल्याण ज्ञान भणो इक तान...हो भविआं (२) भणी ने प्रगटावो निज भान हो भवि० ज्ञान बिना शुद्ध तत्त्व न परमे, जीव अजीव पिछान ।। भ० ॥१॥ बंध उदय उदीरणा सत्ता, आठ करम नी तान ॥ भ० ॥२॥ शुद्ध देव गुरु धर्म तणी जो, जाण नहीं विण ज्ञान ॥ भ० ॥३॥ तेह थी सूत्र मां ज्ञान वखाण्युं, केवल दरसन वान ॥ भ० ॥४॥ पंच एकावन भेद प्रभेदे, विधि पूर्वक अनुष्ठान ।। भ० ॥ ५॥ त्रिकरण शुदे ज्ञान अराधो, मूकी जूठ गुमान ॥ भ० ॥६॥ श्रीजिनरत्नत्रयी प्रगटावी, 'भद्र' धरो नित ध्यान ।। भ० ॥७॥
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