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मोह-क्षोभ विनाशे अवंचक फल एक ;
प्रभु-चंद्र प्रकाशे सहजानंद विवेक...८ सुविधिजिन स्तुति ६
जिन-मंदिर-तन मंदिर अनुभव-संकेत ; अनहद अमृत रस ज्योति आदि समवेत ; अष्ट द्रव्य मिसे जे अनुभव-क्रम अभिप्रेत ;
सुविधि-प्रभु पूजत सहजानंधन लेत...६ शीतलजिन स्तुति १०
नय भंग निक्षेपे करीअ तत्त्व विचार ; त्यां अस्ति नास्ति अवक्तव्य आदि प्रकार ; अविरोध सिद्धि ए स्याद्वाद-चमत्कार;
शीतल - सिद्धान्ते सहजानंदघन सार...१० श्रेयांसजिन स्तुति ११
कत्तु त्वाभिमाने कर्म शुभाशुभ • बन्ध ; सधे ज्ञप्ति क्रिया थी बोधी-समाधि अबन्ध ; कर्ता न कदापि चेतन पर जड़-धंध ;
श्रेयांस-बोध ए सहजानंद सुगंध...११ वासुपूज्यजिन स्तुति १२
कर्ता पद-सिद्धि व्याप्य-व्यापक न्याये ; तत्स्वरूप न जुदा कर्ता-कर्म-क्रियाए ;
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