Book Title: Ramayan
Author(s): Harman Jacobi, Vijay Pandya
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 26
________________ 17 હર્મન યાકોબી यथाहं तस्य वीरस्य वराद उपधिना हृता / रक्षसा तद्भयाद् एव तथा नार्हति राघवः // એ 1 બી वञ्चयित्वा हृता वनात् / बी 2 बी सी विरहे रुदती सती / हृता ह्येतेन पापेन 3 बी बलाद् सी. जीवतां रक्षसां एव / तद् यथा तस्य विक्रान्तं अनुरूपं महात्मनः / भवेद् आहवशूरस्य तथा त्वमुपपादय // 31 // भवत्य ते 4 प्रभारी 28 भने 3 सी. टी, એ 2 3बी 2,3 तद् अर्थोपहितं वाक्यं प्रश्रितं हेतुसंहितम् / निशम्य हनुमान् शेषं वाक्यमुत्तरमब्रवीत् // 32 // સી 1 ટી भी प्रश्रितं ने पहले सहितम् शेषं भाटे वीर 2ii तस्य (!) 3 सी. निशम्याहं ततस्. अब्रुवम् टी स२ . मे 2 जी... संयुतं, सी तस्या 3 श्री. संयुतम् सी. प्रशम्याहं ततस्तस्या, 30 अब्रुवम् બી 2 બી प्रसृतम्, सी वीरो 3 00 प्रसृतम् सी प्रशम्याहं ततः ही अब्रुवम् देवि हर्यक्षसैन्यानां ईश्वरः प्लवतां वरः / सुग्रीवः सत्यसम्पन्नस्तवार्थे कृतनिश्चयः // 33 // सी 1 टी सी सत्त्व.... उ भने टी. सी. सत्त्व.. टी. 2 मा मा भने उन 46 सुधीनां પદ્યો નથી. मे 1,2,3 बी प्रवतां, सी. सत्त्व.... 3 से बी. सैन्येन संवृत्तः / બી 2,3 એ वानरसैन्यानां, सी. सत्त्व 2 वी शत्रुतापनः / स वानरसहस्राणां कोटिभिरभिसंवृतः / क्षिप्रमेष्यति वैदेहि राक्षसानां निबर्हणः // 34 //

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