________________
२७
.
. महाराजा का. विशालाय गजराज मदभरी चाल से चल रहा था । उस.
के बाद वीजापुर का प्रख्यात बेन्ड था । तदनन्तर पूज्य आचार्य देव, स्वशिष्य मंडली के साथ चल रहे थे। उसके पीछे विशाल मानव समूह
था । तदनन्तर चाँदी की इन्द्रध्वजा एवं विशाल रथमें प्रभुजी .. विराजमान थे ।
. . . . . . . . . . . . तदनन्तर हजारों की संख्यामें नारियां मंगलगीत गाती हुई दृष्टि गोचर होती थीं। इस तरह वरघोड़ा की व्यवस्था अति सुन्दर थी। एसा वरघोड़ा यहां पहले नहीं निकला होगा। __रातको ९ वजे. व्याख्यान पीठपर पूज्य गुरुदेव श्री के पधारने से जय जयकार से मंडप गूंज उठा था ।
. भालाकी उछामनी का प्रारंभ करते ही उत्साह का उदधि चरम । सीमा पर पहुंच चुका था । रुपया चालीस हजार की उपज एक घंटे
में हो गई थी। उसमें प्रथम मालाका आदेश देलंदर निवासी समी . - वहनने लिया था ।
. . मागसर सुदी ११ आज प्रातः से ही लोगों में अधिक चहल
पहल मालम हो रही थी। भाई-बहन पूजा करके सुन्दर वस्त्रों में - सज्ज हो के मंडपमें आने लगे थे।
८वजे पूज्य आचार्यश्री देवश्री अपने परिवार के साथ व्याख्यान पीठ पर पधारते ही वातावरण उर्मिल हो गया था । .. नन्दी की पवित्र क्रिया. शुरू हुई । ९॥ बजे प्रथम माला परिधान की क्रिया शुरू हुई।
__ अनुक्रम से ८५ मालाकी विधि समाप्त हुई। अंतमें प्रभावना हुई। . .. . दोपहर को १२॥ बजे शान्ति स्नात्र का प्रारम्भ हुआ था ।
इस तरह से माला महोत्सव भारे. उमंग से पूरा हुआ । विधि विधान के लिये. मांडवला. से मंडली. आई थी । पूजा भावना के लिये सियाना