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शतक
एदेसिं च भंगा-- ६।१।४।३।२६ एए अण्णोण्णगुणिए = १२६६ ६।५।।३।२।२९
, = १२६६० ६।१०।४।३२
=१२६६० एए सव्वे वि मेलिए
=२७२१६ एते सर्वे त्यो राशयो मीलिताः २७२१६ । देशसंयत गुगस्थानमें बारह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग इस प्रकार उत्पन्न होते हैं(१) ६।१।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर १२६६ भङ्ग होते हैं । (२) ६॥५॥४।३।२।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर १२६६० ,, (३) ६।१०।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर १२६६० ,, होते हैं । इन सबके मिलाने पर सर्व भङ्ग
२७२१६ ,, होते हैं। देशसंयतके तेरह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको लानेके लिए का० भ० कूट-रचना इस प्रकार है
इंदिय पंच वि काया कोहाई दोणि एयवेदो य ।। हस्साइदुयं एयं भयदुय एयं च तेरसं जोगो ॥१६३॥
___ ११५।२।१।२।१।१ एदे मिलिया १३ । १।५।२।१।२।१।१ एकीकृताः १३ प्रत्ययाः । एतेषां भङ्गाः ६।१।४।३।२।२।६ । एते अन्योन्यगुणिताः २५६२ ॥१६॥
अथवा देशसंयतमें इन्द्रिय एक, काय पाँच, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भयद्विकमेंसे एक और योग एक, ये तेरह बन्ध-प्रत्यय होते हैं॥१६॥ इनकी अंकसंदृष्टि इस प्रकार है--१+५+२+१+२+१+ १ = १३ ।
इंदिय चउरो काया कोहाई दोण्णि एयवेदो य । हस्साइदुयं एवं भयजुयलं एगजोगो य ॥१९४॥
१।४।२।१।२।२।१ एदे मिलि या १३ । १११२२।१ एकीकृता: १३ । एतेषां भङ्गाः ६।५।४।३।२१ । गुणिताः ६४८० ॥१६॥
अथवा इन्द्रिय एक, काय चार,, क्रोधादि कषाय दो, वेद एक, हास्यादि युगल एक, भययुगल और योग एक; ये तेरह बन्ध-प्रत्यय होते हैं ॥१६४॥
इनकी अकसहाष्ट इस प्रकार है--१+४+२+१+२+२+१=१३॥ एदेसि च भंगा- ६।१४।३।२।२। एए अण्णोण्णगुणिए = २५६२ ६।५।४।३।२।
" =६४८० एए दो वि मेलिए संति-- एतौ द्वौ राशी मीलितौ १०७२ । देशसंयतमें बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्ग इस प्रकार उत्पन्न होते हैं(१)६४।३।२।२। इनका परस्परगणा करने पर २५६२ भङ्ग होते हैं। (२) ६।४।३।२।६ इनका परस्पर गुणा करने पर ६४८० भङ्ग होते हैं। इन दोनों के मिलानेपर सर्व भङ्ग
६०७२ होते हैं । देशसंयतके चौदह बन्ध-प्रत्यय-सम्बन्धी भङ्गोंको लानेके का० भ० लिए कृट-रचना इस प्रकार है
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