Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 822
________________ सभाष्य पञ्चसंग्रह गाथानुक्रमणिका गाथा प्रथम चरण प्र० पद्याङ्क गाथा प्रथम चरण प्र० पद्याङ्क गाथा प्रथम चरण प्र० पद्याङ्क [अ] अट्ठविहसत्त-छब्बं अणियट्टिम्मि वियप्पा ५,३७० अइभीमदंसणेण १,५३ अट्ट विहं वेयंता ४,२३० अणियट्टिय सत्तरसं ५,३७८ अगरुगलहगुवघादं ४, २९२ अट्ठसहस्सा य सदं ५,३६६ अणियट्टिसुदयभंगा ५,३६३ अगुरुगलहुवघायं ५, ८६ अट्ठसु असंजयाइसु ५,२१७ अणियट्टिस्स दुबंध ५,४१३ अगुरुयलहुगुवघाया ४,४९० अट्ठसु एयवियप्पो अणियट्टि मिच्छाई ४,३६८ अगुरुयलहुतसबायर- ५,१२४ अट्ठसु पंचसु एगे ५,२६४ अणुगो य अणणुगामी १,१२४ अगुरुयलहुतसबायर- ५,१६१ अट्ठारस पयडीणं ४,४२० अणुदय सव्वे भंगा ५,३४६ अगुरुयलहुपंचिंदिय- ५,१७२ अट्ठारसेहि जुत्ता अणुदिस-अणुत्तरवासी ४,३५४ अगुरुयलहुयचउक्कं अट्ठावीसं णिरए ४,२६१ अणुलोहं वेयंतो १,१३२ अगुरुयलहुयचउक्कं ४,२६ अट्ठावीसं णिरए अणुवय-महब्बएहि य ४,२११ अगुरुयलहुयचउक्कं ४,२७१ अट्ठावीसुणतीसा ५,४६५ अण्णयरवेयणीयं ३,४१ अगुरुयलहुयचउक्कं ४,४०० अद्वेगारस तेरस ५,२२० अण्णयरवेयणीयं ३,४४ अगुरुयलहुयचउक्कं अट्ठयारह चउरो ४,६८ अण्णयरवेयणीयं ३,६४ अगुरुयलहुयचउक्कं अद्वैवोदयभंगा ५,३२९ अण्णयरवेयणीयं अगुरुलहुयं तसबा- ५,१४० अटेवोदयभंगा _ ५,३३२ अण्णयरवेयणीयं ५,५०१ अगुरुयलहुयं तसबा-. ५,१५८ अटेवोदयभंगा ५,३३५ अण्णाणतिए होंति य ४,३१ अचक्खुस्स ओषभंगो ५,२०३ अडछब्बीसं सोलस ५,२९१ अण्णाणतियं दोसुं ४,७२ अजयाई खीणंता ४,६६ अडयाला वारसया ५,३२३ अत्थाओ अत्यंतर १,१२२ अज्जसकित्ती य तहा ३,२१ अडविहमणुदीरंतो ४,२२७ अत्थि अणंता जीवा अज्जसकित्ती य तहा ४,२६५ अडवीसाई तिण्णि य अथ अप्पमत्तभंगा अज्जसकित्ती य तहा ४,३१४ अडवीसाई बंधा अथ अप्पमत्तविरदे ५,३८४ अज्जसकित्ती य तहा ५,५८ अडवीसा उणतीसा ५,४४९ अपुव्वम्मि संतठाणा ५,३९७ अट्ठचउरट्ठवीसे ५,२२५ अडवीसा उणतीसा ५,४५२ अप्पपरोभयबाहण १,११६ अट्ठचउरेयवीसं ५,३९७ अडवीसा उणतीसा ५,४६२ अप्पप्पवुत्तिसंचिय १,७५ अटुट्ठी बत्तीसं अडसीदि पुण संता ५,२३१ अप्पं बंधिय कम्म ४,२३४ अट्ठट्ठी सत्तसया ५,३२२ अडसीदि पुण संता अरई सोएणूणा ४,२५० अट्ठण्ह मणुक्कस्सो ४,४४३ अण-एइंदियजाई अरई सोएणूणा ५,२८ अकृत्तीस सहस्सा ५,३८६ अण-मिच्छविदियतसबह- ४,९५ ।। अरहंत-सिद्ध-चेइय- ४,२०६ अट्ठ य पमत्तभंगा ५,३३४ अण-मिच्छ-मिस्स-सम्मं ५,४८७ अरहंतादिसु भत्तो ४,२१३ अट्ठ य बंधट्ठाणा ४,२५४ . अण-मिच्छ-मिस्स-सम्मं ३,५१ अवरादीणं ठाणं अट्ठ य सत्त य छक्क य ५,३३ अण-मिच्छाहारदुगुणा ४,९७ अवसेसविहिविसेसा ५,२०७ अट्ठ य सत्त य छक्क य ५,३९४ अण-रहिओ पडमिल्लो ५,३६ अवसेस संजमट्ठाणं ५,२०३ अट्ट विहकम्मवियडा १,३१ अणादेज्जं णिमिणं च ३,६३ अवसेसं णाणाणं ५,२०१ अट्टविह-सत्त-छब्बं ४,२२१ अणियट्टिबादरेथी अवसेसा पयडीओ ४,४८४ मासा ताण य५.४६४ Jain Education International . For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872