Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
गाथानुक्रमणिका
१,२०३
[ख] खवणाए पट्ठवगो खविए अण-काहाई खाइयमसंजयाइसु खीणकसायदुचरिये खीणंता मज्झिल्ले खीणे दंसणमोहे खुल्ला-वराड-संखा
१,१६७ ५,४९४
१,१६०
१,७०
४,५२
गइ-आदिय-तित्थंते ५,२०६ गइ इंदियं च काए १,५७ गइकम्मविणिवत्ता १,५९ गइ चउ दो य सरीरं २,१२ गइ चउ दो य सरीरं ४,२४० गइचउरएसु भणियं ५,१८९ गइयादिएसु एवं ४,३२४ गुणजीवा पज्जत्तो १,२ गुणठाणएसु अट्ठसु ५,३०० । गढसिरसंधिपव्वं गोदेसु सत्त भंगा - ५,१५
[घ] घाइतियं खीणंता घाईणं अजहण्णो ४,४४१ घादीणं छदुमत्था - ४,२२२ घोलणजोगमसण्णी ४.५१०
[च] चउ-इयरणिगोएहि जु- १,३८ चउ चरिमा अजोगियस्स ५,२९० चउ-छक्कं बंधतो ४,२४४ चउ-छव्वीसिगितीस य ५,२४९ चउ-तिय मण-वचिए ५,१९६ चउतीसं पयडीणं ३,७९ चउदालं तु पमत्ते ५,३५२ चउपच्चइयो बंधो ४,७८ चउबंधयम्मि दुविहा ५,१३ । चउबंधयम्मि दुविहो ५,२८६ ।। चउ भंगा पुव्वस्स य ५,३३६ चउरो हेट्टा छा उवारें ५,४६३ चउवीसं दो उरि ५,४४५
चउवीसं वज्जित्ता ५,१९४ छब्बावीसे चउ इगि- ४,२५१ चउवीसं वज्जुदया ५,४२३ छन्वावीसे चउ इगि- ५,२९ चउतीसं वज्जुदया पास वजुदया, ५,४३१
छब्वावीसे वउ इगि- ५,३०२ चउवीसं वज्जुदया ५,४३४ छम्मासाउगसेसे १,२०० चउवीसेण य गुणिया ५,३३७ छव्वीसाए उवरि ५,१३२ चउवीसेण वि गुणिदे ५,३५५। छन्वीसिगिवीसुदया ५,२२६ चउवीसेण वि गुणिया ५,३१६ छसु ठाणेसु सत्तट्ठ ४,२१८ च उसट्टि होंति भंगा ५,३३८. छसु पुण्णेसु उरालं ४,४२ चउसट्ठी अट्ठसया ५,३२१ छसु हेट्ठिमासु पुढवीसु १,१९३ चउहत्तरि सत्तत्तरि ५,४७९, . छादयदि सयं दोसे चउ हेट्टा छा उवरिं ४,४५१ छायाल-सेस मिस्सो ५,४७७ चक्खूण जं पयासइ १,१३९ छावत्तरि एयारह चक्खूदंसे छद्धा ४,१७
छिज्जइ पढमं बंधो ३,६७ चक्खूदंसे जोगा
छेत्तृण य परियायं १,१३० चत्तारि-आदिणवत्बंध- ५,४१
[ज] चत्तारि पयडिठाणा ४,२४१ चत्तारि वि छेत्ताइ १,२०१
जत्थेवकु मरइ जीवो
१,८३
जवणालिया मसूरी चदुसंजलण-णवण्हं ४,२०२ चंडो ण मुयइ वेरं
जसकित्ती बंधतो १,१४४
४.२५७ चाई भद्दो चोक्खो १,१५१
जस-बादर-पज्जत्ता ५,१११ चितियमचितियं वा १,१२५
जह कंचणमग्गिगयं १,८७ चोइस जीवे पढमा ५,२५७
जह गेरुवेण कुड्डो १,१४३ चोद्दस पुन्बुद्दिट्ठा १,३५
जह छन्वीसं ठाणं ४,२७७ चोइस सराय-चरिमे ४,४६६
जह तिण्हं तीसाणं. ४,२७३ जह तीसं तह चेव य ४,२८८ जह तीसं तह चेव य ५,८१
जह पढमं उणतीसं ४,२८९ छक्कं हस्साईणं
जह पुण्णापुण्णाई छण्णउदिं च वियप्पा ५,३७७ जह भारवहो पुरिसो १,७६ छण्णव छत्तिय सत्त य ५,३९९ जह सुद्धफलियभायण १,२६ छण्णोकसाय-पयला ४,५०६ जं णत्थि राय-दोसो १,२८ छण्हमसण्णी द्विदि ४,४३३ जं सामण्णं गहणं १,१३८ छण्हं पि अणुक्कस्सो ४,४९७ जाइ-जरा-मरण-भया १,६४ छण्हं सुर-णेरइया ४,४३० जा उवसंता सत्ता ३,१० छत्तीसं ति-बत्तीसं ५,३४४ जाणइ कज्जाकज्ज १,१५० छद्दव्व-णवपयत्थे
जाणइ तिकालसहिए १,११७ छप्पढमा बंधंति य ४,२१९ जाणइ पस्सइ भुंजइ १,६९ छप्पंच-णवविहाणं १,१५९ जाहि व जासु व जीवा १,५६ छप्पंचमुदीरंतो ४,२२९ जिह छन्वीसं ठाणं छब्बंधा तीसंता ५,४७१ जिह तिण्हं तीसाणं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872