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सप्ततिका
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२४॥३०॥३१॥१। उदयस्थाननवकम् । २१।२४।२५।२६।२७।२८।२६।३०।३१। सत्वैकादशकम् ९३।१२। ११1801८८८४८1८०1७६७८७७। भवधि-केवल दर्शनद्वये ज्ञाने कथितमस्ति ॥४५४॥
इति दशनमार्गणा समाप्ता। चक्षुदर्शनियोंके उपरिम दो सत्तास्थान छोड़कर शेष ग्यारह सत्तास्थान होते हैं। इतर अर्थात् अचक्षुदर्शनियों में वे ही अर्थात् चक्षुदर्शनवालोंके बतलाये गये बन्धस्थान और सत्तास्थान होते हैं। तथा उपरिम दो को छोड़कर शेष नौ उदयस्थान होते हैं॥४५४॥
चक्षुदर्शनियोंके सत्तास्थान ६३, ६२, ६१, ६०, ८८, ८४, ८२, ८०, ७६, ७८, ७७, ये ग्यारह सत्तास्थान होते हैं। अचक्षुदर्शनियोंके २३, २५, २६, २८, २६, ३०, ३१, ये आठ बन्धस्थान; २१, २४, २५, २६, २७, २८, २९, ३०, ३१, ये नौ उदयस्थान, तथा ६३, ६२, ६१, ६०, ८८,८४, ८२, ८०, ७६, ७८ और ७७ ये ग्यारह सत्तास्थान होते हैं।
किण्हाइतिए बंधा तेवीसाई हवंति तीसंता ।
सत्ता सत्ताइल्ला उवरिम दो वञ्जिदूण णव उदया ॥४५॥ किण्ह-णील-काउसु बंधा ६-२३।२५।२६।२८।२६।३०। उदया १-२१२४॥२५॥२६॥२७१२८ २६।३०।३१। संता ७-६३।१२।११1801८८८४
लेश्यामार्गणायां कृष्णादित्रये बन्धस्थानानि त्रयोविंशतिकादित्रिंशत्कान्तानि षट २३।२।२६।२८।२६। ३०। सत्त्वस्थानानि आद्यानि त्रिनवतिकादीनि सप्त १३।१२।११18015८४८२ । उपरिमद्वयं वर्जयित्वा चोदयस्थानानि नव २११२४।२५।२६।२७॥२८॥२६॥३०॥३१ ॥४५५॥
लेश्यामार्गणाकी अपेक्षा कृष्ण आदि तीन लेश्याओंमें तेईसको आदि लेकर तीस तकके छह बन्धस्थान, उपरिम दो को छोड़कर शेष नौ उदयस्थान; तथा आदिके सात सत्तास्थान होते हैं ॥४५५॥
कृष्ण, नील और कापोतलेश्यामें २३, २५, २६, २८, २९, ३० ये छह बन्धस्थान, २१, २४, २५, २६, २७, २८, २९, ३०, ३१ ये नौ उदयस्थान; तथा ६३,६२,६१,६०,८८,८४ और ८२ ये सात सत्तास्थान होते हैं ।
तेऊ पम्मा बंधा अडवीसुणतीस तीस इगितीसा ।
इगि पणुवीसा उदया सत्तावीसाइ जाव इगितीसं ॥४५६।। तेउ-पम्मासु बंधा ४-२८।२६।३०।३१। उदया ७–२१।२५।२७।२८।२६।३०।३१॥
तेजःपमयोर्बन्धस्थानानि अष्टाविंशत्येकोनत्रिंश कत्रिंशत्कैकत्रिंशत्कानि चत्वारि २८।२६।३०।३१ । पद्मायमष्टाविंशतिकादोनि चत्वारि । पीतलेश्यायां २५।२६।२८।२६।३०।३१ एवमप्यस्ति । उदयस्थानानि एकविंशतिक-पञ्चविंशतिक-सप्तविंशतिकाद्यकत्रिंशत्कान्तानि सप्त २११२५।२७।२८।२६।३०
तेज और पद्मलेश्यामें अट्राईस, उनतीस, तीस और इकतीस प्रकृतिक ये चार बन्धस्थानः तथा इक्कीस, पच्चीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस, और इकतीस प्रकृतिक ये सात उदयस्थान होते हैं ।।४५६।। . - तेज और पद्मलेश्यामें बन्धस्थान २८, २९, ३०, ३१, ये चार तथा उदयस्थान २१, २५, २७, २८, २६ ३० और ३१ ये सात होते हैं।
__संता चउरो पढमा सुक्काए होंति तेच्चिय विवाया।
संता चउरो पढमा उवरिम दो वजिदूण चउ हेट्ठा ॥४५७॥ संता ४-१३।१२।११।१० । सुक्काए उदया ७-२११२५।२७।२८।२६।३०।३१। संता - १३।१२।११1801८1७६७८७७
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