Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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६२८
पंचसंगहो
घोलणजोगिणी बंधइ चदु दोणि अप्पमत्तो य । पंचासंजदसम्मो भवादिसुमो भवे सेसा || १३० | णिरयाउग देवाउग णिरयदुगं चैव जाण चत्तारि ।
आहार दुगं- दुगं [ चैव य ] देवचउक्कं तु तित्थयरं ॥ १३१ ॥
'घोलणजोगिमसण्णी' उक्करसपरिणामजोगादो हीयमाणरूवमागंतूण सव्वजहण्णपरिणामजोगो घोलमाणो जोगो त्ति वुच्चइ । णिरय-देवाउगाणं जहणपदेसंबंधो असणि-पंचिदियपज्जत्त-जहण्णपरिणामजोगस्स अट्ठविहबंधगरस जहण्णपदेसबंधे बट्टमाणस्स । एवं णिरयगइणिरयगइपाओग्गाणुपुव्वीणं । णवरि अट्ठवीसणामाए सह अट्ठविहबंधगस्स | 'दुण्णि अप्पमत्तो दु' आहार सरीर आहारसरीरंगोवंगाणं जहण्णपदेसंबंधो अप्पमत्त अपुव्वकरण-छ-सत्तमभागगयाणं एक्कत्ती सणामाए सह अट्ठविहबंधगाणं जहष्णपरिणामजोगाणं जहण्णपदेसबंधे वट्टमाणाणं । 'पंचासंजदसम्मो' देवगइ वेडव्वियसरीर - वेउब्वियसरीरंगोवंग - देवगइपाओग्गाणुपुव्वीणामाणं जहण्णपदे सबंधो असंखेज्जवरसाउग वज्ज मणुस असंजदसम्मादिट्टि पढमसमए आहारकपढमसमए तब्भवत्थस्स गूणती सणामाए सह सत्तविहबंधगस्स जहणउववादजोगिस्स जहगपदे सबंधे वट्टमाणस्स । तित्थयरस्स जहण्णपदेसबंधो सोधम्मादिदेव-पढमपुढवीणेरइयअसंजदसम्मादिट्ठि- पढनसमए आहारक पढमसमए तब्भवत्थस्स तीसणामा सह सत्तविहबंधगस्स जहण्णउववादजोगिस्स अहण्णपदेसबंधे वट्टमाणस्स । 'भवादि सुहुमो भवे सेसा' सेसाणं पंचणाणावरण-णवदंसणावरण-सादासाद - मिच्छत्त- सोलसकसाय - णवणोकसायणिच्चुच्चगोद-पंचंतराइयाणं जहण्णपदेसंबंधो सुहुमणिगोदपज्जत्तगस्स पढमसमए आहारकपढमसमए तन्भवत्थरस सत्तविहबंधगरस जहण्णउववादजोगिस्स जहण्णपदेसबंधे वट्टमाणस्स । तिरिक्ख- मणुसाउगाणं जण्णपदेसबधो सुहुमणिगोदजीव-अपज्जत्तगस्स खुद्दाभवग्गहणतदियविभाग- पढमसमए आउगं बंधमाणस्स जहण्णपरिणामजोगिस्स जहण्णपदेसब घे वट्टमाणस्स । तिरिक्खगइ-वीइं दियादि चटुजाइ ओरालिय- तेजा- कम्मइयसरीर छसंठाण - ओरालियसरीर-[ ओरालियसरीर- ] अंगोवंग - छसंघडण - वष्णादिचदुक्क - तिरिक्खगइपाओग्गाणुपुव्वीअगुरुगलहुगादिचउक्क- उज्जीव- दो विहायगइ-तस बादर - पज्जत्त- पत्तेगसरीर-थिरादि छ जुगलणिमिणणामाणं जहण्णपदेस बंधो सुहुमणिगोद-अपज्जत्तगस्स पढमसमए अणाहारकपढमसमए तब्भवत्थस्स तीसणामाए सह सत्तविहब धगस्स जहण्णउववादजोगिस्स जहण्णपदेसब घे वट्टमाणस्स । एवं मणुसगइ - मणुसगइपाओग्गाणुपुव्वीणं । णवरि एगूणती सणामाए सत्तविहब धगस्स । एवं एइंदिय-आदाव-थावरणामाणं । णवरि छव्वीसणामाए सह सत्तविहब'धगस्स । एवं सुहुम-अपज्जत्तसाधारणणामाणं । णवरि पणुवीसाए सह सत्तविहब धगस्स ।
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जोगा पय-पदेसा ठिदि-अणुभागं कसायदो कुणइ | काल-भव - खेत्तती [ पेही ] उदओ सविवाग अविवागो || १३२ ||
जोगादो पर्याडबंधं पदेसबधं च कुणइ । कसायदो ठिदिबधं अणुभागबंधं च कुणइ । सीदादिकाल- णिरयादिभव-रदणपभादिखेत्त-वत्थादिदव्वाणं इट्ठाणिट्ठाणं पेक्खिदूण कम्मोदओ उदीरणोदओ चेव होदि ।
- असं गट्टाणाणि हुंति सव्वाणि । तेसिमसंखिजगुणो पगुडीगं संगहो सच्चो ॥ १३३॥
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