Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 816
________________ परिशिष्ट ७४६ ० १११ ० ३ मिश्र १४४+ ४ अविरत १४५ ५ देशविरत १४५ ६ प्रमत्तविरत १४५ ७ अप्रमत्तविरत १४५ ८ अपूर्वकरण १३८ प्र०भा०१६ १३८ द्वि०भा०८ १२२ तृ०भा० १ ११४ च०भा० १ ११३ ६ अनिवृत्तिकरण पं०भा०६ ११२ प०भा० १ १०६ सभा० १ अ०भा० १ न०भा १०३ १० सूक्ष्मसाम्पराय १०२ ११ उपशान्तमोह १०१ १०१ शाणमाह चरमसमय १४ १३ सयोगिकेवली . द्वि८च०स० ७२ ८५ १४ अयोगिकेवली १३५ चरमसमय + आहारकद्विक मिलाकर तीर्थंकर मिलाकर १०५ ur११um १२ क्षीणमोह द्वि०च०स० २ ८५ १३ १३ बन्धाभाव संदृष्टि संख्या १४ गुणस्थानों में बन्धायन्धादि दशक यंत्र बन्धयोग्य सर्व प्रकृतियाँ १२० सं. गणस्थान बन्ध प्र० बन्ध व्य० अबन्ध १ मिथ्यात्व ११७ २ सासादन ३ मिश्र ४ अविरत ५ देशविरत ६ प्रमत्तविरत ७ अप्रमत्तविरत ७४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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