Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 817
________________ ७५० पञ्चसंग्रह प्रथम भाग ५८ द्वितीय ,, तृतीय, अपूर्वकरण ० ० WWWWW ० षष्ठ सप्तम प्रथम भाग १२२ १२६ द्वितीय, अनिवृत्तिकरण १२७ १२८ तीय, १०० १०१ १०२ १०३ ११६ # चतुर्थ ,, पंचम " १० सूक्ष्मसांपराय १७ ११ उपशान्तमोह १ १२ क्षीणमोह १ १३ सयोगिकेवली १ १४ अयोगिकेवली . १३१ ११६ ११६ १४७ १२० संदृष्टि सं० १५ नरक सामान्यकी बन्ध-रचना बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ १०१ बन्धयोग्य अबन्ध बन्धव्यु गुणस्थान मिथ्यात्व सासादन मिश्र अविरत ० ० ४१ ० संदृष्टि सं०१६ सप्तम पृथितीगत नारकियोंकी बन्ध-रचना बन्ध-योग्य सर्व प्रकृतियाँ ६६ गुणस्थान बन्ध अबन्ध बन्धव्यु० मिथ्यात्व सासादन ६१ मिश्र अविरत ur mmi W po ko 88 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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