Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 705
________________ पंचसंगहो तेरस णव चदु पणयं बंधवियप्पा उ हुंति बोधव्वा । छावत्तरिमेगारससदाणि णामोदया हुंति (७६११) ॥२८|| तेवीसादि-अट्ठसु बंधट्ठाणेसु पगडिणिदेसो भंगणिरूवणा च सदगे वुत्ता [त्तक्क] कमेण जाणिऊण भाणियव्व।। तेरस सहस्सा णव सदा पंच य तालीसा णामस्स बंधट ठाणवियप्पा हति १३६४५ । इकबीसादि-इक्कारसेस उदयद्राणेसु पगडिणिसो भंगपरूवणा च । तं __णिरयगइणामोदयसंजुत्ताणि पंच उदयट्ठाणाणि । तं जहा-णिरयगइ-पंचिंदियजाइ-तेजाकम्मइयसरीर-वण्ण-गंध-रस-फास-णिरयगइपाओग्गाणुपुठवी - अगुरुगलहुग-तस-बादर-पज्जत्त-थिराथिर-सुभासुभ-दुभग-अगादिज्ज-अजसकित्ति-णिमिणणामाओ एदाओ पगडीओ घेत्तूण इक्कवीस उदयठ्ठाणं । तं विग्गहगइवट्टमाणस्स जेरइयस्स जहण्णेण एयसमयं, उक्करसेण वेसमयं । एदाओ आणुपुव्वीवजाओ वेउव्वियसरीर-हुडसंठाण-घेउव्वियसरीर-अंगोवंग-उवघाद-पत्तेयसरीरसहियाओ पगडीओ घेत्तूण पणुवीस उदयठाणं । तं सरीरगहिय-पढमसमयमादि काऊण जाव सरीरपज्जत्ता [त्तो] ण होइ, ताव होदि । जहण्णुक्कासेणंतोमुहुत्तकालं । एदाओ चेव परघाद-अप्पसस्थविहायगइसहियाओ पयडीओ घेत्तूण सत्तावीस-उदयठाणं । तं सरीरपज्जत्तगपढमसमयप्पहुडि जाव आणापाणपन्जत्तो ण होइ, ताव होइ। जहण्णुक्कस्सेणंतोमुहुत्तकालं ! एदाओ चेव उस्साससहियाओ पयडीओ घेत्तण अट ठावीस उदयठाणं । तं आणापाणपज्जत्तगए पढमसमयप्पहुदि जाव भासापज्जत्तगओ ण होइ, ताव होइ । जहण्णुकस्सेणंतोमुहुत्तकालं । एदाओ चेव दुस्सरसहियाओ पयडीओ घेत्तण एगूणतीस-उदयठाणं । तं भासापज्जत्तगए पढमसमयप्पहुदि जाव जीविदंतं ताव होइ । जहण्णेण दस [वास-]सहस्साणि अंतोमुहुत्तूणाणि | एदेसिं पंचण्हं ठाणाणं एक्केको चेव भंगो। उदयवियप्पा पंच ५ इगिवीसं चउवीसं एत्तो इगितीस यति एगधियं । णव चेव उदयट्ठाणा तिरियगइसंजुदा हुंति ॥२९।। पंचेव उदयठाणाणि सामण्णेइंदियस्स बोधव्या । इगि-चउ-पण-छ-सत्तधिया वीसा तह होइ णायव्वा ॥३०॥ आदाउजोवाणमणुदय-एइंदियस्स ठाणाणि । सत्तावीसा य विणा सेसाणि हवंति चत्तारि ॥३१॥ आदाउज्जोउदओ जस्सेसो णत्थि तस्स त्थि पणुवीसं । सेसा उदयट्ठाणा चत्तारि हवंति णायव्वा ॥३२॥ आदाउज्जोवाणमणुदय-एइंदिएसु इगिवीसं तिरिक्खगइ-उदयसंजुत्ताणि णव ठाणाणि । तत्थ सामण्णइंदियस्स पंच उदयठाणाणि । तं जहा-तिरिक्खगइ-एइंदियजाइ-तेजाकम्मइयसरीर-वण्णगंध-रस-कास-तिरिक्खगइपाओग्गाणुपुव्वा-अगुरुगलहुग-थावर-चादर-सुहमाणमकदर पज्जत्तापज्जत्ताणमेक्कदरं थिराथिर-सुभासुभ-दुभग-अणादिज-जस अजसकित्तीणमेक्कदरं णिमिणणामाओ पगडीओ घेत्तण इगिवीस-उदयट्ठाणं । तं विग्गहगईए वट्टमाणस्स जहण्णेणेगसमयं, उकस्सेण तिण्णि समयं । एदस्स भंगा जसकित्ति-उदएण इक्को भंगो, सुहुमअपज्जत्त-उदओ णस्थि त्ति । अजसकित्ति-उदएण चत्तारि भंगा। [एवं पंच भंगा ५। ] एदाओ चेव पगडीओ आणुपुत्वीवज्जाओ ओरालियसरीर हुंडसंठाण-उवघाद-पत्तेग - साधारणसरीराणमेक्कदरं सहियाओ घेत्तूण चउवीसउदयट्ठाणं । तं सरीरगहियपढमसमयप्पहुडि जाम सरीरपज्जत्तगओ ण होइ ताम होइ । जहण्णुकरसेणंतोमुहुत्तकालं । एदस्स भंगा-जसकित्ति-उदएण एक्को भंगो, सुहुम-अपज्जत्त-साहारणाणं For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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