Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 717
________________ ६५० पंचसंगहो अरइसोग दुण्हं जुगलाणमेक्कदरं भय दुगंछा च एदाओ पगडीओ घेत्तूण अट्ठउदयट्ठाणं । एदस्स इक्को चवीस भंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तण अट्ट - [सत्त] उदयद्वाणं । एदस्स पढमो चडत्रीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ दुर्गुछरहिय-भय-सहियाओ धेत्तूण वा सत्त उदयद्वाणं । एदस्स विदिओ चउवीसभंगो । एदाओ चेव सम्भत्तर हिद दुर्गुछसहियाओ घेत्तृण वा सत्तउदयद्वाणं । एदस्स तदिओ चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तूण छ- उदयद्वाणं । एदरस इक्को चउवीसभंगो । एदाओ चैव दुगुंछर हिय-भयसहियाओ घेत्तृण वा छ - उद्यट्ठाणं । एदस्स विदिओ चउवीसभंगो । एदाओ चेव सम्मत्तसहिय भयरहियाओ घेत्तृण वा छ-उदयद्वाणं । एदस्स तदिओ चउवीसभंगो । एदाओ चेव सम्मत्तरहियाओ घेत्तृण पंच-उदयठ्ठाणं । एदस्स वि इक्को चडवीसभंगो । 'विरदे खओवसमिए चउरादी' पमत्तसंजदम्मि चत्तारि-पंच छ सत्त अट्ठ एदाणि चत्तारि उदयद्वाणाणि । तं जहा - सम्मत्तं संजलणको हमाणमायालो भाणमेकदरं तिन्हं वेदाणमेक्कदरं हरस इ-अरसोग दुहं जुगलाणमेक्कदरं भय दुगंछा च एदाओ पगडीओ घेत्तूण सत्त उदयद्वाणं । एदस्स इक्को चडवीस भंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तूण छ- उदयद्वाणं । एदस्स वि पढमो चडवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ दुगुंछा-रहिय-भयसहियाओ घेत्तूण वा छउदयद्वाणं । एदस्स विदिओ चडवीसभंगो । एदाओ चेत्र पगडीओ सम्मत्तर हिय-भय दुगंछासहियाओ घेत्तूण वा छ- उदयट्ठाणं । एदस्स विदिओ [तदिओ] चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तण पंचउदयद्वाणं । एदस्स पढमो चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ भय-दुर्गुछरहियाओ घेत्तूण वा पंच-उदयद्वाणं । एदस्स विदिओ चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ सम्मत्तसहिय भयरहियाओ घेत्तूण वा पंच उदग्रद्वाणं । एदस्स तदिओ चउवीस भंगो। एदाओ चेव पगडीओ सम्मत्तरहियाओ घेत्तूण चत्तारि उदयद्वाणं । एदस्स वि एक्को चवीसभंगो | एवं अप्पमत्त संजदस्स वि । अपुव्वकरणम्मि चत्तारि पंच छ एदाणि तिण्णि उदयट्ठाणाणि । तं जहा - चउसंजळणाणमेकदरं तिन्हं वेदाणमेक्कदरं हस्सरइ- अरइसोग दुण्हं जुगलाणमेक्कदरं भयदुगु छा च एदाओ चेव पगडीओ घेत्तूण छ- उदयद्वाणं । एदस्स इक्को चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तृण पंचउदयद्वाणं । एदस्स पढमो चउवीसभंगो । एदाओ चेव पगडीओ दुगु छरहियाओ भयसहियाओ घेतून वा पंच- उद्यट्ठाणं । एदस्स विदिओ चडवीस भंगो । एदाओ चेव पगडीओ भयरहियाओ घेत्तृण चत्तारि उदयद्वाणं । एदरस एक्को चउवीस भंगो | दंसणमोहणीयं उवसामिऊण वा उवसमसेढिं चढइ, खविऊण खवगसेटिं चढइति अपुव्वादिसु सम्मत्तोदओ णत्थि । अट्टम इक्कं दोन्हं एदागि दोणि उदयद्वाणाणि । तं जहा - चउसंजलणाणमेक्कदरं तिन्हं वेदाणमेक्कदरं एदाओ पगडीओ घेत्तूण दोणि उदयद्वाणं । एदस्स वारस भंगा १२ । चउसंजलणाणमेक्कदरं इक्कं चेव उदयद्वाणं । एदस्स भंगा चत्तारि ४ । 'एयं सुहुमसरागो वेदेदि' सुहुमसंपरागो लोभसंजलणं इक्कं वेदेदि । एदस्स इक्को चेव भंगो | 'सेसा' वसंता दिया अवेदया हुंति । भंगपमाणं पुव्वुत्तकमेण णायव्वं । इक्क य छकेयारं एयारेयारमेव णव तिणि । दे चउवसगदा वारस [ दुग ] एग पंचम्मि ||२८|| वारस पण साई उदयवियप्पेहिं मोहिया जीवा । चुलसीदी सत्तत्तरि पदबंध देहिं विष्णेया ॥ ५६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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