Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 721
________________ ६५४ पंचसंगहो लभंति ४८० । एदे छ-उवओगेहिं गुणिया एत्तिया हुंति २८८० । तेसु गुणट्टाणेसु अप्पप्पणो भणिय-उदयवियप्पा पुध पुध अप्पप्पणो पगडीहिं गुणेऊण मेलिया पदबंधा एत्तिया हुंति ३४५६ । ते छ-उवओगेहिं गुगिया पदबंधा एत्तिया हुंति २०७३६ । पमत्तसंजद-अपमत्तसंजद-अपुव्व-अणियट्टि-सुहुमसंपराइय एदेसु पंचसु गुणट्ठाणेसु आभिणिबोहियणाणं सुदणाणं ओहिणाणं मगपञ्जवणाणं चक्खुदंसणं अचक्खुदंसणं ओहिदसणं एदे सत्त उवओगा हुंति । एदेसिं उवओगम्मि तेसु पंचसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुठवभणिदवियप्पा मेलिया चारि सदा सत्तागउदी लब्भंति ४६७ । एदे सत्त-उवओगेहिं गुणिया इत्तिया हुंति ३४७६ । एदेसु पंचसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुत्वभणिद-उदयवियप्पा अप्पप्पणो पगडीहिं गुणिऊण मेलविया २६२१ हुँति । एदे सत्त उवओगेहिं गुणिया पदबंधा एत्तिया हुंति १८३४७ । सव्व-उदयवियप्पा मेलिया इत्तिया हुँति ७७६६ | एवं 'सत्तत्तरि चेव सदा णवणउदा चेव उदया हवंति बोधव्वा ।' सव्वपदबंधा मेलिया एत्तिया हुंति ५१०८३ । 'एक्कावण्णसहस्सा तेसीदा चेव हुंति बोधव्वा ।' वावणं चेव सदा सत्ताणउदा हवंति बोधव्वा । उदयवियप्पे जाणसु लेसं पदि मोहणीयस्स ॥६५॥ अट्टत्तीससहस्सा वे चेव सदा हवंति सगतीसा । पदसंखा णादव्वा लेसं पदि मोहणीयस्स ॥६६।। 'यावणं चेव सदा' मिच्छादिठ्ठिप्पहुदि जाव असंजदसम्मादिहिस्स[त्ति]एदेसु चउसु गुणट्ठाणेसु किण्ह णील काउ तेउ पम्म सुक्क छ लेसा हुंति । एदेसिं इक्का वा लेस्साए चउसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुव्वभणिद-उदयवियप्पा मेलिया पंचसदा छावत्तरी लम्भंति ५७६ । एदे छलेसाहिं गुणिया एत्तिया हुँति ३४५६ । तेसु चउसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुत्वमणिदवियप्पा अपप्पणो पगडीहिं गुणेऊण मेलिया पदबंधा एत्तिया हुँति ४६०८ । एदे छ-लेसाहिं गुणिया पदबंधा एत्तिया हुंति २७६४८ । ___संजदासंजद पमत्तसंजद अपमत्तसंजद एदेसु तिसु गुणट्ठाणेसु तेउ-पम्म-सुक्कलेसा तिण्णि हुंति । एदेसिं इक्केका य लेस्सा एत्तिएसु तिसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुत्वभणिद-उदयवियप्पा मेलिया पंचसदा छावत्तरी लब्भंति ५७६। एदे ती हिं लेस्साहिं गुणिया उदयवियप्पा एत्तिया हुंति १७२८ । तेसु तिसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुव्वभणिद-उदयविपप्पा अपप्पणो पगडीहिं गुणेऊण मेलिया पदबंधा एत्तिया हुंति ३३६० । एदे तीहिं लेसाहिं गुणिया पदबंधा एत्तिया हुंति १००८० । अपुवकरणप्पहुदि जाव सुहुमसंपराइगो त्ति एदेसु तीसु गुणट्ठाणेसु सुक्कलेसा इक्का चेव । तेसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुव्वभणिद-उदयवियप्या मेलिया एत्तिया हुंति [११३] । इक्काए लेसाए गुणिया वि तत्तिया चेव । तेसिं पमाणं तेरसुत्तरसदा ११३ । तेसु तीसु गुणट्ठाणेसु अप्पप्पणो पुव्वभणिद-उदयवियप्पा अप्पप्पणो पगडीहिं पुध पुध गुणेऊण मेलिया पदबंधा एत्तिया [५०६] हुंति । एक्काए सुक्कलेसाए गुणिया तत्तिया चेव । तेसिं पमाणं णवुत्तरपंचसदा ५०६ । सव्व-उदयवियप्पा मेलिया एत्तिया हुँति ५२६७ । एवं 'वावण्णं चेव सदा सगणउदा चेव हुँति बोधव्वा'। सव्वपदबंधा मेलिया एत्तिया हुंति ३८२३७ । एवं 'अठ्ठत्तीस सहस्सा वे चेव सदा हवंति सगतीसा'। 'जोगोवजोगं' जम्मि गुणट्ठाणे [जे ] जोगादिया हुंति, ते तम्मि गुणगारा हुंति त्ति । जोगोवओगलेसा-संजमादी हिं गुणिया उदयवियप्पा पदसंखा य हुंति त्ति जाणियव्वा । तिण्णेगे एगेगं दो मिस्से पंच चउ णिअट्टिम्मि तिण्णि । दस बादरम्मि सुहुमे चत्तारि य तिण्णि उवसंते ॥६७॥ Jain Education International www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only

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