Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 722
________________ सत्तरि-संगहो ६५५ 'तिण्णेगे एगेगं' मिच्छादिहिम्हि अट्ठावीस सत्तावीस छव्वीस एदाणि तिण्णि संतवाणाणि । सासणसम्मादिट्ठिम्मि अट्ठावीससंतट्टाणमेकं । सम्मामिच्छादिट्ठिम्मि अट्ठावीस सत्तावीस एदाणि दोणि संतट्ठाणाणि । असंजदसम्मादिट्ठि-संजदासंजद-पमत्तसंजद-अप्पमत्तसंजद एदेसु चउसु गुणट्ठाणेसु अट्ठावीस चउवीस तेवीस वावीस इक्कवीस एदाणि पंच संतठ्ठाणाणि । अपुव्वकरणम्मि अट्ठावीस चउवीस इकवीस एदाणि तिण्णि संतठ्ठाणणि हुँति उवसमगम्हि । खवगम्हि इगिवीस बादर-अणियट्टिम्मि अट्ठावीस चउवीस इक्कवीस एदाणि तिणि संतठ्ठाणाणि हुंति उवसामगे। खवगे पुण इक्कवीस तेरस वारस इक्कारस पंच चत्तारि तिणि दोण्णि एदाणि अढ संतढाणाणि हुंति | अणियट्टिसुहुमम्मि अट्ठावीस चउवीस इक्कवीस एदाणि तिणि संतठ्ठाणाणि हुंति उवसामगे। खवगे पुण एर्ग लोभसंजलणसंतं । उवसंतकसायम्मि अट्ठावीस चउवीस इक्कवीस एदाणि तिण्णि संतवाणाणि हुंति । छण्णव छ त्तिय सत्त य एग दुग तिग दु तिगट्ठ चहुँ । दुग दुग चदु दुग पण चदु चउरेग चदु पणगेग चहूँ ॥६॥ एगेगमट्ट एगेगमट्ठ छदुमत्थ-केवलिजिणाणं । एगं चदु एग चदु दो चदु दो छक्क उदयकम्मंसा ॥६६॥ इदाणिं णामस्स वुच्छामि-मिच्छादिट्टिम्मि तेवीस पणुवीस छन्वीस अट्ठावीस एगूणतीस तीस एदाणि छ बंधट्ठाणाणि, इक्वीस चउवीस पणुवीस छव्वीस सत्तावीस अट्ठावीस एगणतीस तीस इक्कतीस एदाणि णव उदयट्ठाणाणि, वाण उदि इक्काग उदि णउदि अट्ठासीदि चउरासीदि वासीदि एदाणि छ संतवाणाणि । सासणसम्मादिट्ठिम्मि अट्ठावीस एगूणतीस तीस एदाणि तिण्णि बंधढाणाणि, इक्वीस चउवीस पणुवीस छव्वीस एगूणतीस [तीस] इकत्तीस एदाणि सत्त उदयट्ठाणागि, णउदि इक्कं संतट्ठाणं । सम्मामिच्छादिट्ठिम्मि अट्ठावीस एगूणतीस एदाणि दोण्णि बंधढाणाणि, एगूणतीस तीस इकत्तीस एदाणि तिण्णि उदयट्ठाणाणि, वाणउदि ण उदि एदाणि दोण्णि संतढाणाणि । असंजदसम्मादिट्ठिम्मि अट्ठावीस एगूणतीस तीस एदाणि तिणि बंधट्ठाणाणि, इक्कवीस पणुवीस छव्वीस सत्तावीस अट्ठावीस एगूणतीस तीस एगतीस एदाणि अट्ठ उदयटुाणाणि, तेणउदि वाणउदि इक्काणउदि णउदि एदाणि चत्तारि संतटाणाणि । संजदासंजदम्मि अट्ठावीस एगूगतीस एदाणि दोण्णि बंधट्ठाणाणि, तीस इक्कतीस एदापि दुण्णि उदयट्ठाणाणि, तेणउदि वाणउदि इक्काणउदि गउदि एदाणि चत्तारि संताणाणि । पमत्तसंजदम्मि अट्ठावीस एगूणतीस एदाणि दोण्णि बंधट्ठाणाणि, पणवीस सत्तावीस अट्ठावीस एगूणतीस तीस एदाणि पंच उदयद्राणाणि, तेण उदि वाणउदि इक्काणउदि ण उदि एदाणि चत्तारि संतहाणाणि । अप्पमत्तसंजदम्मि अठ्ठावीस एगूणतीस तीस एगतीस एदाणि चत्तारि बंधट्ठाणाणि, तोस इक-उदयहाणं, तेणउदि वाणउदि इक्काणउदि णउदि एदाणि चत्तारि संताणाणि । ___ अप्पुवकरणम्मि अट्ठावोस एगूणतीस तीस इक्कत्तीस इक्कं एदाणि पंच बंधाणाणि, तीसं इक्कं उदयट्ठाणं, तेणउदि वाण उदि इक्काणउदि णउदि एदाणि चत्तारि संताणाणि । अणियट्टिम्मि जसकित्ती इक्क च बंधळाणं, तीसं इक्कं उदयट्ठाणं, तेणउदि वाणउदि इक्काणउदि णउदि असीदि एगूगासीदि अट्ठत्तरि सत्तत्तरि एदाणि अट्ठ संताणाणि । सुहुमम्मि जसकित्ती इक्कच बंधट्ठाणं, तीसं इक्क उदयट्ठाणं, तेणउदि वाणउदि इक्काणउदि ण उदि असीदि एगृणासीदि अदृत्तरि सत्तत्तरि एदाणि अट्ठ संतट्ठाणाणि । उवसंतकसायम्मि तीसं इकं उदयट्ठाणं, तेणउदि वाणउदि णउदि एदाणि चत्तारि संतागाणि । खीणकसायम्मि तीसं इक्क उदयट्ठाणं, असोदि एगणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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