Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 706
________________ सत्तरि-संगहो उत्थि त्ति । अजसकित्ति उदएण अटूट्ठभंगा एवं णव भगा है । एदाओ अपज्जत्तवज्ज• परघादसहियाओ घेत्तूण पणुवीस उदयठाणं । तं सरीरपज्जत्तगए पढमसमय पहुइ जाव आणापाणपज्ञत्तगओ ण होइ ताव होइ । जहण्णुक्कस्सेणंतोमुहुत्तकालं । एदस्स भगा - जसकित्तिउदएण एको भांगो, सुहुम-साहारणाणं उदओ णत्थि त्ति । अजसकित्ति उदएण चत्तारि भांगा ४ । एवं पंच भांगा ५ । एदाओ चैव उस्लाससहियाओ पगडीओ घेत्त ण छन्त्रीस उदयठाणं । तं आणापाणपज्जत्तगए पढमसमयप्पहुडि जाव जीवितं ताव होइ । जहणणेणंतोमुहुत्तकालं, उक्करसेण वावीस [ वास ] सहस्साणि अंतोमुहुत णाणि । एदस्स आ पंचवीस उदयट्ठाण त्रियप्पा तत्तिया चेव ५ | आदावुज्जोवुद अविरहियाणं [ ए ] इंद्रियाणं जहा भणिदं । आदावुज्जोवउदयसहियाणं एइंद्रियाणं तहा इगिवीसं । चउवीस उदयठाणं पुव्वं च । णवरि सुहुम-अपज्जत्तसाहाराणं उदओ णत्थि त्ति । एदेसिं दो दो भगा । ते पुत्र्वभ गेसु पुणरुत्तत्ति ण गहिया । चउवीस पगडीओ परघाद- आदाउज्जो वेक्कदरसहियाओ घेत्तणवीस उदयठाणं । तं सरीरपज्जत्तगए पढमसमय पहुदि जाव आणापाणपज्जत्तगओ ण होइ ताव होइ । जहण्णुक्कस्सेणंतोमुहुतकालं । एदस्स भगा चत्तारि ४ । एदाओ चेव उस्साससहियाओ पगडीओ घेत्तण सत्तावीस उदयठाणं । तं आणापाणपज्जत्तगए पढमसमयप्पहृदि जाव जीवितं ताव होइ । जहणणेणंतोमुहुत्तं, उक्करसेण वासवस्तसहस्सा णि अंतो मुहुत्त णाणि । एदस्स वि भगा चत्तारि ४ । एइंदियाण सव्वे भगा बत्तीसं ३२ । विगलिंदियामण्णु दयडाणाणि हुंति छच्चेव । इrिati छवीसं अट्ठावीसादि जाव इगितीसं ||३३|| जोवर हिविगले इगितीसूणाणि पंच ठाणाणि । Jain Education International उज्जोक्स हियविगले अट्ठावीसूणया पंच ||३४|| उज्जोव उदयविरहियवेइंदियठाणाणि पंच । वेइंदियरस सामण्णेण छ उदयठाणाणि । तं जहा - तिरिक्खगइ वेइंदियजाइ-तेजा कम्मइयसरीर वण्ण गंध-रस- फास-तिरिक्खगइपाओग्गाणुपुवी - अगुरुगलहुग-तस बादर- पज्जसापज्जत्ताणमेक्कदरं थिराथिर-सुभासुभ- दुभग-अणादिज्ज-जसअजस कित्ती मेक्कदरं णिमिणणामाओ पयडीओ घेत्तण इक्कवीस उदयठाणं । तं विग्गहगईए म जहणे एगसमयं, [ उक्करसेण वे समयं । ] एदस्स भगा - जस कित्ति - उदएणेक्को भगो, अप्पज्जत्तोदओ णत्थि त्ति । अजसकित्ति उदएण दो भगा । एवं तिष्णि भगा ३ । एदाओ चेव ओरालियसरीर-हुंडसं ठाण-ओरालिय सरीरंगोवंग असंपत्तसे वट्टसरीरसंघडण - उवघाद - पत्तेगसरीरसहियाओ आणुपुत्र्वीवज्जाओ घेत्तूण छब्बीस उदयद्वाणं । तं सरीरगहियपढम समय पहुइ जाव सरीरपज्जत्तो ण होइ, ताव होइ । जहण्णुक्करसेणंतो मुहुत्तकालं । एदस्स भगा - जसकित्तिउदएण इक्को भगो १, अपज्जत्तोदओ णत्थि ति । अजसकित्ति उदएण दो भगा । एवं भंगा तिण्णि ३ । एदाओ चेत्र अपज्जतवज्ज परघाद - अपसत्थ-विहायगइसहियाओ घेत्तूण अट्ठावी उदयठाणं सरीरपज्जत्तए पढमसमय पहुइ जाव आणापाणपज्जत्तगओ ण होइ, ताव होइ । जहण्णुक्करसेणंतोमुहुतकालं । एदस्स दो भंगा २ । एदाओ सव्वाओ उस्साससहियाओ वेत्तृण एगूणतीस उदय ठाणं । तं आणापाणपज्जत्तगए पढमसमयप्पहुदि [ जाव भासा ] पज्जन्त्तयओ ण होइ अंतमुत्तकालं । [ ] एवं दो भगा २ । एदाओ व दुसरसहियाओ पगडीओ घित्तण तीसउदयठाणं । तं भासापज्जत्तगए पढमसमय पहुडि जाव जीविदं ताव हो । जहणणं तोमुहुत्तं, उक्करसेण बारस वासाणि । एदस्स दो भगा । एवं उज्जोव अजसकित्तिया.... 'उज्जोव - [ उदयसहिय] वेइंदियस्स जहा इगिवीस छवीस पुव्वं व । णवरि अपज्जत्त - उदओ णत्थि एदेसिं दो दो भंगा चेव । पण्णरस - ६३६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872