Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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सतग-संगहो
मणुसगइ पंचिंदियजादि ओरालिय तेजा कम्मइयसरीर छसंठाणाणमेक्कदरं ओरालियसरीरअंगोवंग छसंघडणाणमेक्कदरं वण्णादिचदुक्कं मणुसगइपाओग्गाणुपुव्वी अगुरुगलहुगादिचदुक्कं पसत्थ-[अप्पसत्थ-]विहायगदीणमेक्कदरं तस बादर पजत्त-पत्तेगसरीर थिराथिराणमेक्कदरं सुभासुभाणमेकदरं सुभग-दुभगाणमेकदरं सुस्सर-दुस्सराणमेक्कदरं आदिज्ज-अणादिजाणमेक्कदरं जसअजसकित्तीणमेकदरं णिमिणणामाओ एगणतीसपगडीओ बंधमाणस्स सत्तमपुढवीणेरइय तेउ वाउ असंखेज्जवस्साउगं वज्ज मिच्छादिहिस्स पढमएगुणतीसठाणं । एदस्स वि भंगा तिरिक्खगइसंजुत्तपढमएगुणतीसठाणं भंगा चेव ४६०८ ।
एवं विदियं एगुणतीसठाणं पि। णवरि हुडसंठाण असंपत्तसेवट्टसरीरसंघडणं च वज्ज सासणसम्मादिहिस्स विदियएगुणतीसठाणं । वियप्पा पुणरुत्त त्ति ण गहिया ।
मणुसगई पंचिंदियजादि ओरालिय तेजा कम्मइगसरीर समचदुरसरीरसंठाण ओरालियसरीरअंगोवंगं वज्जरिसहवइरणारायसरीरसंघडणं वण्णादिचदुकं मणुसगइपाओग्गाणुपुत्वी य अगुरुगलहुगादिचदुकं पसत्थविहायगइ तस बादर पजत्त पत्तेगसरीर थिराथिराणमेक्कदरं सुभासुभाणमेक्कदरं सुभग सुस्सर आदिज्ज जस-अजसकित्तीणमेक्कदरं णिमिणणामाओ एगुणतीसपगडीओ बंधमाणस्स देव-णेरइ यसम्मामिच्छादिहि-असंजदसम्मादिहिस्स तदियएगुणतीसठाणं । एदरस भंगा पुणरुत्त त्ति ण गहिया ।
मणुसगइ पंचिंदियजादि ओरालिय तेजा कम्मइयसरीर हुंडसंठाण ओरालियसरीरअंगोवंग असंपत्तसेवट्टसरीरसंघडणं वण्णादिचदुकं मणुसगइपाओग्गाणुपुत्वी अगुरुगलहुग उवघाद तस बादर पज्जत्त पत्तेगसरीर अथिर असुभ दुभग अणादिज्ज अजसकित्ती णिमिणणामाओ पणुवीस पगडीओ बंधमाणस्स तेउ-वाउ असंखेजवस्साउगं वज्ज तिरिक्ख-मणुसमिच्छादिहिस्स पणुवीसं ठाणं । एदम्स इक्को चेव भंगो १ ।
मणुसगइसंजुत्ताण सव्वभंगा एत्तिया ४६१७ ।
देवगइसंजुत्ताणि पंच ठाणाणि । देवगइ पंचिंदियजादि वेउव्वियाहारतेजाकम्मइय[सरीर] समचउरससरीरसंठाणं वेउव्विय-आहारसरीरंगोवंगा वण्णचदुक्कं देवगइपाओग्गाणुपुव्वी अगुरुगलहुगादिचदुकं पसत्थविहायगइ तस बादर पज्जत्त पत्तेयसरीरा थिर सुभ सुभग सुम्सर आदिज्ज जसकित्ती णिमिण-तित्थयरणामाओ[इ- कत्तीसपयडीओ अप्पमत्तसंजदा अपुव्वकरणद्धाए सत्तछभागगया अट्ठाणं [ य ठाणं] बंधंति । एवं एकत्तीसा अट्ठाण [य ठाणे ] इक्को भंगो १ । एवं चेव तीसाए ठाणं पि । णवरि तित्थयरवजं । एदस्स वि एक्को चेव भंगो १।
पढमए उणतीसाए ठाणं जहा तहा एक्कत्तीसठाणं णायव्वं । णवरि आहार-]आहारसरीरंगोवंग बज्ज । एवं विदिए एगुणतीसाए ठाणं । णवरि थिराथिराणमेक्कदरं सुभासुभाणमेक्कदरं जसअजस कित्तीणमेक्कदरं भाणियव्वं । सामिणो कम्मभूमिमणुस-असंजद-देस-विरद-पमत्तसंजदा हुंति । थिराथिरा दोभंगा सुभासुभ-दोभंगेहिं गुणिया ४। ते चेव जस-अजसकित्तीण दोभंगेहिं गुणिया ८ । पढम-एगुणतीसवियप्पा एस्थेव पुणरुत्त त्ति प गहिया ।
पढम-अट्ठावीसा अट्ठाणं जहा पढम-एगुणतीसा अठाणं तहा णायव्वं । णवरि तित्थयां वज्ज । विदिय-अट्ठावीसा अढाणं जहा विदिय-एगुणतीस ठाणं तहा णायव्वं । णवरि तित्थयरं वज्ज । सामिणो वि य सण्णिपंचिंदिय-असण्णिपंचिंदिय-पज्जत्तमिच्छादिट्टी सासणसम्मादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी असंजदसम्मादिट्टी संजदासंजद-तिरिक्ख-मणस्सा पमत्तसंजदा य हंति । देवगइसंजुत्तसव्वभंगा अट्ठारस १८ ।
एकं ठाणं अगदिसंजत्तं जसकित्ती तम्हा सामिणो अपुत्वकरणद्धाए उवरिम-सत्तमभागगया जा व सुहुमसंपराइया त्ति । एदस्स भंगो इक्को चेव १ । सव्वभंगा मेलिया एत्तिया हुँति १३६४५ ।
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