Book Title: Panchsangrah
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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५६८
पंचसंगहो
दिट्ठिम्हि आवलिसेसे उदीरणावुच्छेदो। पञ्चक्खाणावरणचदुक्कं वेउब्धियछक्क तिरिक्खगदि मणुसगदिपाओग्गाणुपुत्वी दुभग अगादिज्ज अजसकित्ती एदासिं पण्णरसण्हं पयडीण असंजदसम्मादिट्ठिम्हि [ चरिमसमए ] उदीरणावुच्छेदो । 'अट्ठ' तिरिक्खाउगस्स संजदासंजदम्हि मरणावलियसेसे उदीरणावुच्छेदो। पञ्चक्खाणावरणचदुक्कं तिरिक्खगदि उज्जोव णीचागोदं एदासिं सत्तण्हं पयडीण संजदासंजदचरमसमए उदीरणावच्छेदो। 'अट्ठ' थीणगिद्धितिग सादासादा एदासिं पंचण्हं पयडीणं पमत्ततंजदस्स उत्तरवेउव्वियरस चरिमावलियसेसे उदीरणावुच्छेदो । आहारदुग मणुसाउगस्स पमत्तसंजदस्स चरिमावलियसेसे उदीरणावुच्छेदो । 'चदु' अद्धणारायसंघडणं खीलियसंघडणं असंपत्तसेवट्टसंघडणं वेदगसम्मत्तं एदासिं चदुण्हं पयडीणं अप्पमत्तसंजदस्स चरिमसमए उदीरणावुच्छेदो। 'छक्क' हस्स रदि अरदि सोग भय दुगुंछा एदासिं छहं पयडीणं अपुव्वकरण-उवसामयस्स वा खवयरस वा चरमसमए उदारणावुच्छेदो। 'छक' उवसामयस्स वा खवयस्स वा तिण्हं वेदाणं तिण्हं संजलणाणं अणियट्टिस्स सेस संखेज्जभागं गंतूण उदीरणावुच्छेदो। 'इगि' लोभसंजलणस्स सुहुमसांपराइय उवसमयस्स वा खवयस्स वा आवलियसेसे उदोरणावुच्छ दो। 'दुग' रज्जणाराय णारायसंघडणं एदासिं दोण्हं पयडीणं उवसंतकसा. यम्हि उदीरणावुच्छेदो 'सोलस' णिद्दा-पयलाणं खीणकसायस्स समयावलियसेसे उदीरणावुच्छेदो। पंचण्हं णाणावरणीयाणं चउण्हं दंसणावरणीयाणं पंचण्डं अंतराइयाणं खीणकसायरस आवलियसेसे उदीरणावच्छेदो। 'उगदालं' मणसगदि पंचिंदियजादि ओरालिय तेजा कम्मइगसरीर छ संठाणं ओरालियअंगोवंग वज्जरिसभवइरणारायसंघडण वण्ण गंध रस फास अगुरुगलहुग उवघाद परघाद उस्सास दो विहायोगदि तस बादर पज्जत्त पत्तयसरीर थिराथिर सुभ-असुभ सुभग सुस्सर दुस्सर आदिज्ज जसकित्ती णिमिण तित्थयर उच्चागोद एदासिं उगुदालीसण्हं पयडीणं सजोगिचरमसमये उदोरणावुच्छेदो।
एत्ता सव्वपयडीणं संतवुच्छेदो कादवो भवदि । तत्थ सुत्तं-'अण मिच्छ मिस्स सम्म' अणंताणुबंधिचदुक्क मिच्छत्त सम्मत्त सम्मामिच्छत्त एदासिं सत्तण्हं पयडीणं असंजदसम्मादिढिप्पहुडि जाव अप्पमत्तसंजदो त्ति संतवुच्छेदो। 'सुरणिरय तिरियाऊ' णिरयाउग तिरिक्खाउग देवाउग एदासिं पयडीणं अप्पप्पणो भवम्हि संतबुच्छेदो। 'सोलस' थीणगिद्धितिग गिरयगदि तिरिक्खगदि एइंदिय बेइंदिय तेइंदिय चरिंदियजादि णिरयगइ तिरिक्खपाओग्गाणुपुत्वी आदावुज्जोव थावर सुहुम साधारणसरीर एदासिं सोलसण्हं पयडीणं अणियट्टि-अद्धाए संखेजभागं गंतूण संतवुच्छेदो । 'अट्ठ' तदो अंतोमुहुत्तं गंतूण अट्ठण्हं कसायाणं संतवुच्छेदो। 'इक्कं' तदो अंतोमुहुत्तं गंतूण गवंसयवेदो संतवुच्छेदो । 'इक्क' तदो अंतोमुहुत्त [गंतूण ] इत्थीवेद-संतवुच्छेदो। 'छक्कं' तदो अंतोमुहुत्त [गंतूण ] छण्णोकसायसंतवुच्छेदो । 'एक्केक्का य' तदो समयूण आवलियं गंतूण पुरिसवेदसंतबुच्छेदो। तदो अंतोमुहुत्तं कोधसंजलणं, तदो अंतोमुहुत्त माणसंजलणं, तदो अंतोमुहुत्त मायासंजलणं संतवुच्छेदो। सुहुमसंपराइयलोभसंजलणचरमसमए संतवुच्छेदो । 'खोणकसाए सोलस' णिद्दा-पयलाणं खीणकसायदुचरिमसमए संतवुच्छेदो। पंचण्हं णाणावरणीयाणं चदुण्हं दसणावरणीयाणं पंचण्हं अंतराइयाणं एदासिं चउदसण्हं पयडीणं खीणकसायचरमसमए संतवुच्छेदो। 'वायत्तरि दुचरिमे' देवगदि वेउव्विय-आहार-तेजा-कम्मइयसरीर समचदरससंठाणं वेउन्विय-आहारसरीर-अंगोवंग पंच वण्ण पंच रस दो गंध अट्ट फास देवगदिपाओग्गाणुपु०वी अगुरुगलहुग उस्सास पसत्थविहायगदि पत्तेयसरीर थिर अथिर सुभ असुभ सुस्सर दुस्सर अजसकित्ति णिमिण एदाओ चत्ताल पयडीओ देवगदि-सहगदाओ अण्णदर वेयणीयं ओरालियसरीर पंच सरीर बंधण पंचसरीर संघाद पंच संठाण ओरालियसरीर अंगोवंग छ संघडण उवघाद परघाद अप्पसत्थविहायगदि अपज्जत्त दुभग दुस्सर अणादिज्ज णीचगोद इमाओ अण्णाओ बत्तीसं पयडीओ मणुसगदि सहगदाओ। एयासिं वावत्तरि पयडीणं
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