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इस प्रकार मोहनीयकर्मके उपयोगकी अपेक्षा सर्व उदयविकल्प सतहत्तरसौ निन्यानबै (७७६६ ) होते हैं, ऐसा जानना चाहिए ॥३६४॥ उपयोगोंकी अपेक्षा उदयधिकल्पोंकी संदृष्टि इस प्रकार है:
गुणस्थान उपयोग उदयस्थान गुणकार भंग मिथ्यात्व
६६० सासादन
४८०
२४ ५७६ अविरत
११५२ देशविरत
११५२ प्रमत्तविरत
१३४४ अप्रमत्तविरत
१३४४ अपूर्वकरण ७ अनिवृत्ति ७ सूक्ष्मसाम्प० ७
सर्व उदय विकल्प ७७६E अब गुणस्थानों में उपयोगकी अपेक्षा मोहनीयकी उदयप्रकृतियोंकी संख्या बतलाते हैं
मिच्छादि-अपुव्वंता पयडिवियप्पा हवंति णायव्वा । उवओगेण य गुणिया चउवीसगुणा य पुणरवि य ॥३६॥
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1. सं० पञ्चसं०५, ३८१ ।
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