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पहला अध्ययन
१.
२.
३.
४, ५.
६.
७.
८, ९.
3/2.
१०.
११.
१२.
१३.
१४.
१५.
१६.
१७.
२५.
मंगलाचरण ।
आदि, मध्य और अंत मंगल । चार अनुयोगों का नामोल्लेख । चरणकरणानुयोग का अधिकार और उसके द्वार । दशवेकालिक का अनुयोग । दसकालिक - दस और काल के निक्षेप कथन की प्रतिज्ञा ।
एक और दश शब्द के निक्षेप ।
जीवन की बाला, क्रीड़ा आदि दश दशाएं । काल शब्द के निक्षेप ।
१८. अध्ययनों के विषय वर्णन की प्रतिज्ञा । १९-२२. अध्ययनों के विषयों का संक्षिप्त वर्णन । २३. दो चूलिकाएं एवं उनका प्रयोजन।
२४.
विषयानुक्रम
दशवेकालिक नामकरण की सार्थकता । दशवेकालिक वक्तव्यता की द्वार गाथा । दशवैकालिक निर्यूहक आचार्य शय्यंभव को वंदना |
प्रस्तुत रचना का कारण और उसका नियूँ हण
काल ।
आत्मप्रवाद पूर्व से धर्मप्रज्ञप्ति (चौथा अध्ययन ) तथा कर्मप्रवाद पूर्व से पिषणा (पांचवां अध्ययन) के उद्धरण का संकेत । सत्यप्रवाद पूर्व से वाक्यशुद्धि तथा नवें पूर्व की तीसरी वस्तु से शेष सभी अध्ययनों के उद्धरण का संकेत ।
गणिपिटक - द्वादशांगी से दशवेकालिक के निर्यूहण का उल्लेख |
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प्रत्येक अध्ययन की विषय-वस्तु के कथन की प्रतिज्ञा ।
प्रथम अध्ययन के चार द्वार।
२५ / १,२. अध्ययन के चार प्रकार और दुमपुष्पिका के साथ उनकी संयोजना ।
२६, २७. अध्ययन शब्द के निरुक्त ।
२८.
आचार्य को दीपक की उपमा ।
भाव आय लाभ का स्वरूप । भाव अध्ययन का स्वरूप ।
३१,३२. द्रुम शब्द के निक्षेप तथा एकार्थक
३२.
पुष्प शब्द के एकार्थक |
३४.
दुमपुष्पिका अध्ययन के एकार्थक
३५.
पृच्छा का महत्त्व ।
३६. धर्म शब्द के निक्षेप और उनका नानात्व । ३७-३९. द्रव्य धर्म के भेद-प्रभेद ।
४०.
लोकोत्तर धर्म के भेद ।
४१.
४२.
द्रव्य और भाव मंगल का स्वरूप । अहिंसा का स्वरूप तथा उसके भेद । सतरह प्रकार के संयम का उल्लेख । बाह्यतप के भेद
४३.
४४.
आभ्यंतर तप के भेद ।
शिष्य की ग्रहणशक्ति के आधार पर उदाहरण और हेतु का प्रयोग ।
न्याय के पांच और दश अवयवों का उल्लेख ।
२९.
३०.
४५.
४६.
४७.
४७ / १. उदाहरण और हेतु के भेद-प्रभेद । उदाहरण के एकार्थक ।
४८.
४९.
५०.
५१.
५२.
उदाहरण के दो भेद -चरित और कल्पित तथा उनके चार-चार भेद ।
आहरण के चार प्रकार |
द्रव्य अपाय में दो वणिक भाइयों की कथा । क्षेत्र, काल और भाव अपाय की कथाओं का संकेत |
५३, ५४. द्रव्य आदि अपाय और पारलौकिक चिन्तन । ५५, ५६. द्रव्यानुयोग के आधार पर अपाय का चितन । ५७,५०. उपाय के चार प्रकार और उनके उदाहरणों का संकेत ।
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